सार

कुछ लोगों की आदत होती है कि वे अच्छाई में भी बुराई खोज लेते हैं। उनका ध्यान लोगों की अच्छाइयों से ज्यादा उनकी बुराइयों पर जाता है। जब कोई व्यक्ति अच्छा काम कर रहा होता है तो भी ऐसे लोग उसमें खराबी ढूंढ लेते हैं।

उज्जैन. जो लोग लगातार दूसरों की गलतियां ढूंढते रहते हैं, लोगों के बीच उनकी छबि नकारात्मक बन जाती है। हमें ऐसा करने से बचना चाहिए। Asianetnews Hindi Life Management सीरीज चला रहा है। इस सीरीज के अंतर्गत आज हम आपको ऐसा प्रसंग बता रहे हैं जिसका सार यही है कि हमें बुराई में भी लोगों की अच्छा खोजनी चाहिए। 

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जब कड़वे पानी को भी गुरु ने बताया मीठा
गर्मी के दिनों में एक शिष्य अपने गुरु से मिलने उनके आश्रम जा रहा था। रास्ते में उसे एक कुआं दिखाई दिया। शिष्य को प्यास लगी थी। शिष्य ने उस कुएं का पानी पीया। वो पानी बहुत ही मीठा और ठंडा था। शिष्य ने सोचा कि- क्यों न गुरुजी के लिए भी यह मीठा और ठंडा जल लेता चलूं।
ऐसा सोचकर उसने अपनी मशक (चमड़े से बना एक थैला, जिसमें पानी भरा जाता था) में उस कुएं का पानी भर लिया। जब वो शिष्य गुरु के आश्रम में पहुंचा तो उसने गुरुजी को पूरी बात बताई। गुरु ने भी शिष्य से मशक लेकर जल पिया और संतुष्टि महसूस की। 
गुरु ने शिष्य से कहा कि “वाकई ये जल तो गंगाजल के समान है।” 
शिष्य को खुशी हुई। गुरुजी से इस तरह की प्रशंसा सुनकर शिष्य आज्ञा लेकर पुनः अपने गांव चला गया। कुछ ही देर में आश्रम में रहने वाला एक दूसरा शिष्य गुरुजी के पास आया और उसने भी वह जल पीने की इच्छा जताई। 
गुरुजी ने मशक दूसरे शिष्य को दे दी। शिष्य ने जैसे ही पानी का एक घूंट पिया, बुरा सा मुंह बनाकर पानी थूक दिया। 
शिष्य बोला “गुरुजी इस पानी में तो कड़वापन है और न ही यह जल शीतल है। आपने बेकार ही उस शिष्य की इतनी प्रशंसा की।” 
गुरुजी ने कहा “बेटा, मिठास और शीतलता इस जल में नहीं है तो क्या हुआ। इसे लाने वाले के मन में तो है। जब उस शिष्य ने जल पिया होगा तो उसके मन में मेरे लिए प्रेम उमड़ा। यही बात महत्वपूर्ण है। मुझे भी इस मशक का जल तुम्हारी तरह ठीक नहीं लगा। लेकिन मैं यह कहकर उसका मन दुखी करना नहीं चाहता था। हो सकता है जब जल मशक में भरा गया, तब वह शीतल हो और मशक के साफ न होने पर यहां तक आते-आते यह जल वैसा नहीं रहा, पर इससे लाने वाले के मन का प्रेम तो कम नहीं होता है।”

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लाइफ मैनेजमेंट
अगर कोई व्यक्ति आपके प्रति समर्पित है तो आपको भी उसका उत्तर प्रेम से ही देना चाहिए। दूसरों के मन को दुखी करने वाली बातों को टाला जा सकता है और हर बुराई में अच्छाई खोजी जा सकती है।

 

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