Life Management: गुरु ने शिष्यों से मंगवाई सूखी पत्तियां, लेकिन वो नहीं ला पाए, फिर बताई ये खास बात

कुछ लोगों की आदत होती है कि वे दूसरे लोगों और चीजों को बेकार समझते हैं और उनकी उपेक्षा करते रहते हैं। जबकि सच्चाई इससे उलट भी होती है। जो लोग किसी काम के नहीं लगते, वे अवसर आने पर बहुत काम के निकलते हैं।

उज्जैन. अक्सर जिन लोगों या चीजों को हम बेकार समझ लेते हैं,  कभी-कभी वो भी हमारा बहुत बड़ा काम निकाल देते हैं।  Asianetnews Hindi Life Management सीरीज चला रहा है। इस सीरीज के अंतर्गत आज हम आपको ऐसा प्रसंग बता रहे हैं जिसका सार यही है कि दुनिया में कोई भी चीज व्यर्थ नहीं होती, सभी का अपना-अपना उपयोग होता है। 

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जब गुरु ने शिष्यों से मांगी एक बोरी सूखी पत्तियां
एक गुरुकुल में तीन शिष्यों नें अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद गुरु से यह बताने के लिए विनती की कि उन्हें गुरुदाक्षिणा में, उनसे क्या चाहिए। गुरु ने उनसे कहा “मुझे तुमसे गुरुदक्षिणा में एक थैला भर के सूखी पत्तियां चाहिए, ला सकोगे?’’ 
वे तीनों मन ही मन बहुत प्रसन्न हुए क्योंकि उन्हें लगा कि वे बड़ी आसानी से अपने गुरु की इच्छा पूरी कर सकेंगे। सूखी पत्तियाँ तो जंगल में सभी ओर बिखरी ही रहती हैं। वे उत्साहपूर्वक एक ही स्वर में बोले-‘‘जी गुरु जी, जैसी आपकी आज्ञा।’’
तीनों शिष्य जंगल में पहुंचें। लेकिन यह देखकर कि वहाँ पर तो सूखी पत्तियाँ केवल एक मुट्ठी भर ही थीं ,उनके आश्चर्य का ठिकाना न रहा। वे सोच में पड़ गये कि आखिर जंगल से कौन सूखी पत्तियां उठा कर ले गया होगा? 
इतने में ही उन्हें दूर से आता हुआ कोई किसान दिखाई दिया। शिष्यों को लगा कि इनके पास सूखी पत्तियां हो सकती है। वे किसान के पास पहुंचे और सूखी पत्तियां मांगी। किसान ने उन्हें बताया कि वह सूखी पत्तियों का उपयोग ईंधन के रूप में कर चुका है। किसान ने एक व्यक्ति का पता बताया और कहा कि उसके पास तुम्हें सूखी पत्तियां मिल सकती हैं।
अब तीन शिष्य उस आदमी से मिले और सूखी पत्तियां मांगी। उस आदमी ने कहा कि “मैंने तो सूखी पत्तियों के दोने बनाकर बेच दिए, लेकिन पास ही एक बूढ़ी माई रहती है, उसके पास तुम्हें सूखी पत्तियां मिल सकती हैं। 
तीनों शिष्य उस बूढ़ी माई के पास पहुंचे और सूखी पत्तियां की मांग की। बूढ़ी माई ने कहा कि “मैंने तो उन पत्तियों को औषधियां बना दीं।”
ये सुनकर तीनों छात्र निराश होकर खाली हाथ ही गुरुकुल लौट गये। उन्होंने गुरु से कहा कि “गुरुदेव,हम आपकी इच्छा पूरी नहीं कर पाये। हमने सोचा था कि सूखी पत्तियां तो जंगल में सभी ओर बिखरी ही रहती होंगी लेकिन बड़े ही आश्चर्य की बात है कि लोग उनका भी कितनी तरह से उपयोग करते हैं।
गुरु ने शिष्यों से कहा कि “निराश क्यों होते हो? यही ज्ञान कि सूखी पत्तियां भी व्यर्थ नहीं हुआ करतीं बल्कि उनके भी अनेक उपयोग हुआ करते हैं, मुझे गुरुदक्षिणा के रूप में दे दो।” तीनों शिष्य गुरु जी को प्रणाम करके खुशी-खुशी अपने-अपने घर की ओर चले गये।

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लाइफ मैनेजमेंट
दुनिया में कोई भी चीज व्यर्थ या बेकार नहीं है। सभी का अपना-अपना महत्व है। कई बार बिना काम की लगने वाली चीजें भी बहुत काम आ सकती हैं। इसलिए किसी भी व्यक्ति या वस्तु को बेकार नहीं समझना चाहिए।

 

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