Mahabharata Facts: श्रीकृष्ण न रोकते तो अर्जुन कर देते युधिष्ठिर का वध, कब और कहां हुई ये घटना?

Mahabharata Facts: महाभारत हिंदुओं का एक बहुत ही पवित्र ग्रंथ हैं। इसे पांचवां वेद भी कहा जाता है। इस ग्रंथ के अंतर्गत ही भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को निमित्त बनाकर मानव मात्र को गीता का उपदेश दिया था। इसमें कई रोचक बातें भी हैं, जो बहुत कम लोग जानते हैं।
 

उज्जैन. महाभारत के बारे में ये बात तो सभी जानते हैं इसके प्रमुख पात्र पांडव हैं। पांडवों ने युधिष्ठिर सबसे बड़े थे। इनसे छोटे भीमसेन, अर्जुन, नकुल और सहदेव थे। चारों छोटे भाई अपने युधिष्ठिर को बहुत ही सम्मान देते थे। (Mahabharata Facts) युधिष्ठिर की कही हुई बात को कभी किसी भाई ने काटा नहीं। लेकिन एक बार ऐसी घटना हुई, जिसमें अर्जुन ने युधिष्ठिर को मारने के लिए तलवार उठा ली थी, तब श्रीकृष्ण ने उन्हें रोका। ये घटना कब और कहां हुई, इस बारे में कम ही लोगों को पता है। आज हम आपको महाभारत के इसी प्रसंग के बारे में बता रहे हैं, जो इस प्रकार है-

जब कर्ण से हार गए युधिष्ठिर
महाभारत के युद्ध पर्व के अनुसार, कुरुक्षेत्र के मैदान में जब कौरवों व पांडवों की सेनाओं में घमासान युद्ध हो रहा था, उस समय गुरु द्रोणाचार्य की मृत्यु के बाद कर्ण को कौरव सेना का सेनापति बनाया गया। कर्ण अर्जुन से युद्ध करना चाहते थे, लेकिन उनके सामने युधिष्ठिर आ गए। कर्ण और युधिष्ठिर में युद्ध होने लगा। कर्ण ने युधिष्ठिर को घायल कर दिया। घायल युधिष्ठिर अपनी छावनी में पहुंचे। जब ये बात अर्जुन को पता चली तो वे श्रीकृष्ण के साथ युधिष्ठिर को देखने उनकी छावनी में पहुंचे।

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इसलिए युधिष्ठिर को मारने वाले थे अर्जुन
युधिष्ठिर ने जब देखा कि श्रीकृष्ण और अर्जुन छावनी में आए हैं तो उन्हें लगा कि इन्होंने मेरी पराजय का बदला ले लिया है। लेकिन जब युधिष्ठिर को सच्चाई का पता चला तो वे बहुत क्रोधित हुए और उन्होंने अर्जुन के कहा कि ‘तुम अपने शस्त्र दूसरे को दे दो।’ युधिष्ठिर के ऐसा कहते ही अर्जुन ने उन्हें मारने के लिए तलवार उठा ली। श्रीकृष्ण ने जब इसका कारण पूछा तो अर्जुन ने बताया कि ‘मैंने गुप्त रूप से प्रतिज्ञा ली है कि जो मुझसे अपने शस्त्र दूसरे को देने के लिए कहेगा, मैं उसका सिर काट लूंगा।’ तब श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा कि ‘तुम युधिष्ठिर का थोड़ा अपमान कर दो। सम्मान योग्य व्यक्ति का अपमान करना उसकी हत्या करने जैसा ही है।’ अर्जुन ने युधिष्ठिर को ऐसे कटुवचन कहे, जैसे पहले कभी नहीं कहे थे।

अर्जुन क्यों चाहते थे आत्महत्या करना?
बड़े भाई का अपमान करने से अर्जुन बहुत दुखी हो गए क्योंकि उन्होंने ऐसा पहले कभी नहीं किया था। आत्मग्लानि में आकर अर्जुन आत्महत्या करना चाहते थे और उन्होंने तलवार भी उठा ली थी। ये देख श्रीकृष्ण ने उनसे कहा कि “ आज तुम स्वयं की तारीफ करो, ऐसा करना आत्महत्या करने के समान है।’ अर्जुन ने ऐसा ही किया। अर्जुन के मुख से अपने प्रति अपशब्द सुनकर युधिष्ठिर बहुत दु:खी हुए और वन जाने लगे। तब श्रीकृष्ण ने उन्हें समझाया कि ‘मेरे कहने पर ही अर्जुन ने आपका अपमान किया है। उसे आप क्षमा कीजिए। इस प्रकार श्रीकृष्ण ने अर्जुन और युधिष्ठिर, दोनों को ही अधर्म करने से रोक लिया। 


 

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