National youth day 2023: जब स्वामी विवेकानंद एक वेश्या से हार गए, फिर उन्होंने अपनी डायरी में लिखी ये बात

National youth day 2023: स्वामी विवेकानंद भारत के एक महान विभूति थे। हर साल 12 जनवरी को स्वामी विवेकानंद की जयंती राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाई जाती है। इस मौके पर कई आयोजन किए जाते हैं तो स्वामीजी की शिक्षाओं का याद किया जाता है।

Manish Meharele | Published : Jan 12, 2023 4:33 AM IST

उज्जैन. भारत में अनेक महान विद्वान हुए, जिन्होंने पूरी दुनिया को ज्ञान के प्रकाश को रोशन किया। स्वामी विवेकानंद भी इनमें से एक थे। इनका जन्म 12 जनवरी 1863 को कोलकाता में हुआ था। स्वामी विवेकानंद का मूल नाम नरेंद्रनाथ था, लेकिन अध्यात्म का मार्ग अपनाने के बाद उन्हें स्वामी विवेकानंद (Swami Vivekananda) के नाम से जाना जाने लगा। स्वामी जी ने शिकागो की धर्म संसद में भाषण देकर दुनिया को ये एहसास कराया कि भारत विश्व गुरु है। हर साल 12 जनवरी को उनका जन्मदिवस राष्ट्रीय युवा दिवस (National youth day 2023) के रूप में मनाया जाता है। इस मौके पर हम आपको स्वामी विवेकानंद के जीवन से जुड़ी कुछ प्रसंग बता रहे हैं। इनमें लाइफ मैनेजमेंट के कई सूत्र छिपे हैं जो आपके काम आ सकते हैं। आगे जानिए इन प्रसंगों के बारे में…

प्रसंग 1- जब एक वेश्या से हार गए स्वामी विवेकानंद 
एक बार जयपुर के राजा ने स्वामी विवेकानंद अपने महल में उनका सम्मान करने के लिए बुलाया। इसके लिए एक भव्य आयोजन किया गया। राजा ने इस कार्यक्रम में वेश्याओं को भी आमंत्रित किया। जब स्वामी विवेकानंद ने ये देखा तो स्वयं को एक कमरे में बंद कर लिया। जब राजा को ये बात पता चली तो वे समझ गए कि वेश्याओं की वजह से स्वामी कमरे से बाहर नहीं आ रहे हैं। कार्यक्रम में वेश्या ने गाना शुरू किया। वह गीत संन्यास पर आधारित था। जब विवेकानंदजी ये गीत सुना तो उन्होंने कमरे का गेट खोल दिया और बाहर आकर बैठ गए। फिर उन्होंने अपनी डायरी में लिखा, ‘आज ईश्वर से मुझे एक नया प्रकाश मिला है, मैं डरा हुआ था। जरूर कोई लालसा रही होगी मेरे भीतर। इसीलिए डर गया। किंतु उस औरत ने मुझे पूरी तरह हरा दिया। मैंने कभी ऐसी विशुद्ध आत्मा नहीं देखी।’ 

लाइफ मैनेजमेंट
ये घटना हमें सीखाती हैं कि हमें अपने मन को हमेशा नियंत्रण में रखना चाहिए और तटस्थ रहना चाहिए। विषम परिस्थिति में भी हमारा मन भटकना नहीं चाहिए।


प्रसंग 2- खाने से हमेशा दूर रहें
एक बार स्वामी विवेकानंद विदेश गए। वे वहां ज्यादा सामान लेकर नहीं गए थे। वहां जब कुछ लोगों ने उन्हें देखा तो व्यंग्य करते हुए पूछा ‘आपका बाकी सामान कहां है?’ स्वामीजी ने उत्तर दिया, ‘बस यही सामान है।’ लोगों ने कहा, ‘यह कैसी संस्कृति और सभ्यता है आपकी? आपने तो शरीर पर सिर्फ एक भगवा चादर लपेट रखी है।’ 
स्वामीजी समझ गए ये लोग मेरा उपहास कर रहे हैं, उन्होंने मुस्कुराकर कर कहा ‘हमारी संस्कृति और सभ्यता आपे अलग है। आपकी संस्कृति का निर्माण आपके टेलर करते हैं, जबकि हमारी संस्कृति का निर्माण हमारा चरित्र करता है। संस्कृति वस्त्रों में नहीं बल्कि आपके चरित्र में होती है।’ स्वामीजी की बात सुनकर विदेशी लोगों को अपनी गलती का अहसास हुआ और उन्होंने स्वामीजी से माफी मांगी।

लाइफ मैनेजमेंट
इस प्रसंग से हमें यह सीख मिलती है कि हमें कभी दिखावा नहीं करना चाहिए क्योंकि ये सिर्फ ऊपरी दिखावा होता है। हमें अपने चरित्र को सुंदर बनाना चाहिए। यही हमारे विकास का मुख्य आधार है।


प्रसंग 3- जब स्वामीजी ने किया अपने डर का सामना 
स्वामी विवेकानंद जब युवा थे, तब वे एक दिन बनारस के एक मंदिर में गए। बाहर निकलते ही उन्हें बहुत सारे बंदरों ने घेर लिया। बंदरों से बचने का कोई उपाय न देख स्वामीजी भागने लगे। बंदर भी उनके पीछे भागने लगे। थोड़ी दूर पर एक वृद्ध संन्यासी खड़े थे। उन्होंने स्वामीजी से कहा ‘रुको और सामना करो।’ संन्यासी की बात सुनकर विवेकानंद रुके और पलटकर बंदरों की ओर खड़े हो गए। ऐसा होते देख बंदर भी ठहर गए और एक-एक करके भाग गए। 

लाइफ मैनेजमेंट
इस प्रसंग से हमें ये सीख मिलती है कि डर कर भागने की अपेक्षा मुसीबत का सामना करना चाहिए। यदि कभी कोई चीज तुम्हें डराए तो उससे भागो मत। पलटो और सामना करो।


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