Mahashivratri 2022: पांडवों ने की थी इस ज्योतिर्लिंग की स्थापना, इस वजह से सिर्फ 6 महीने होते हैं दर्शन

उत्तराखंड (Uttarakhand) को देव भूमि कहा जाता है। यानी देवताओं की भूमि। गंगोत्री (Gangotri), यमुनोत्री (Yamunotri), केदारनाथ (Kedarnath) और बद्रीनाथ (Badrinath) यहां के प्रमुख तीर्थ हैं। केदारनाथ भगवान शिव से संबंधित है। ये 12 ज्योतिर्लिंगों (12 Jyotirlinga) में से 5वें स्थान पर आता है।

Asianet News Hindi | Published : Feb 25, 2022 5:46 AM IST / Updated: Feb 28 2022, 06:03 PM IST

उज्जैन. केदारनाथ ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के सबसे पवित्र तीर्थों में से एक माना जाता है। बर्फ से घिरी पहाड़ियों और पहाड़ों से बहती नदियों के बीच केदारनाथ मंदिर प्राकृतिक सुंदरता से भरा हुआ है। कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण पांडवों ने करवाया था। और भी कई मान्यताएं इस ज्योतिर्लिंग से जुड़ी हैं। ये मंदिर साल में सिर्फ 6 महीने ही दर्शनों के लिए खुला रहता है, शेष 6 महीने बंद रहता है। भगवान शिव के ये धाम अपने अंदर कई रहस्य भी समेटे हुए हैं। इस बार 1 मार्च को महाशिवरात्रि (Mahashivratri 2022) है। इस मौके पर हम आपको केदारनाथ धाम से जुड़ी खास बातें बता रहे हैं, जो इस प्रकार है…

ये भी पढ़ें- Mahashivratri 2022: इन देवता के नाम पर है गुजरात का ये प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग, 10 टन है इसके शिखर का भार
 

ऐसे हुई थी मंदिर की स्थापना
महाभारत के युद्ध के बाद पांडव अपने ही गोत्र-जन की हत्या के पापा से मुक्ति पाना चाहते थे। इसके लिए पांडव भगवान शिव के दर्शन करने के लिए केदार क्षेत्र में गए, लेकिन वहां उन्हें भगवान के दर्शन न हो सके। भगवान शिव महिष यानी बैल रूप धारण करके पशुओं के झुंड में शामिल हो गए और पांडवों को दर्शन न देकर ही जाने लगे। भीम ने भगवान शिव को पहचान लिया और उन्हें पकड़ने के लिए दौड़े। भीम भगवान शिव का केवल पृष्ठभाग यानी पीठ का हिस्सा ही पकड़ सके। ऐसा होने पर पांडव बहुत दुखी हो गए और भगवान शिव की तपस्या करने लगे। पांडवों की भक्ति से खुश होकर भगवान शिव ने आकाशवाणी की और कहा कि मेरे उसी पृष्ठ भाग की शिला रूप में स्थापना करके, उसी की पूजा की जाए। भगवान शिव के उसी पृष्ठभाग की शिला को आज केदारनाथ के रूप में पूजा जाता है। 

ये भी पढ़ें- आंध्र प्रदेश के इस ज्योतिर्लिंग को कहते हैं दक्षिण का कैलाश, पुत्र प्रेम में यहां स्थापित हुए थे शिव-पार्वती

केदारनाथ ज्योतिर्लिंग से जुड़ी खास बातें
1.
गर्भगृह में स्थित मुख्य शिवलिंग पत्थर का बना हुआ महिषपृष्ठ के आकार का है। मंदिर में पांचों पांडवों की मूर्तियां हैं और मंदिर के बाहर शिव-पार्वती व अन्य देवी-देवताओं के चित्र हैं।
2. केदारनाथ मंदिर में भगवान को कड़ा चढ़ाने की परंपरा है। शिवपुराण में दिए गए उल्लेख के अनुसार, यहां कड़ा चढ़ाने वाले व्यक्ति के सभी दुखों का नाश हो जाता है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
3. यह तीर्थस्थान सर्दियों के छह महीने बन्द रहता है। इन छह माह भगवान केदारनाथ उखीमठ में रहते हैं। जब केदारनाथ के कपाट बंद किए जाते हैं तो भगवान को पालकी से यहीं लाया जाता है। इन 6 महीने तक भगवान भोलेनाथ का दर्शन उखीमठ में ही किया जा सकता है।
 

Latest Videos

ये भी पढ़ें- Mahashivratri 2022: भक्तों की रक्षा के लिए धरती फाड़कर आए थे महाकाल, आज भी ज्योतिर्लिंग रूप में है स्थापित
 

कैसे पहुंचे?
- केदारनाथ चंडीगढ़ से (387), दिल्ली से (458), नागपुर से (1421), बेंगलुरू से (2484), ऋषिकेश से (189) किमी पड़ता है। आप हरिद्वार, कोटद्वार, देहरादून तक ट्रेन के जरिए भी जा सकते हैं। देहरादून तक एयर से भी जाया जा सकता है।
- ऋषिकेश से 215, हरिद्वार से 241, देहरादून 257, कोटद्वार से 246 किमी की दूरी पर केदारनाथ है। नईदिल्ली, मुंबई, अहमदाबाद, अमृतसर से सबसे अच्छी कनेक्टिविटी हरिद्वार रेलवे स्टेशन की है।


 

ये भी पढ़ें...

इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन बिना अधूरी मानी जाती है तीर्थ यात्रा, विंध्य पर्वत के तप से यहां प्रकट हुए थे महादेव

Mahashivratri 2022: जब किस्मत न दें साथ तो करें शिवपुराण में बताए ये आसान उपाय, दूर हो सकता है आपका बेडलक

Mahashivratri 2022: ज्योतिष और तंत्र-मंत्र उपायों के लिए खास है महाशिवरात्रि, इस दिन करें राशि अनुसार ये उपाय

Mahashivratri 2022: विष योग में मनाया जाएगा महाशिवरात्रि पर्व, मकर राशि में ये 5 ग्रह बनाएंगे पंचग्रही युति

Share this article
click me!

Latest Videos

मैसूर दरभंगा बागमती एक्सप्रेस में चीख-पुकार, बिखर गई बोगियां-एक दूसरे पर गिरे लोग
अपने लाडले डॉग 'GOA' के लिए कितनी दौलत छोड़ गए RATAN TATA?
विजयादशमी की शुभकामनाएं: ये हैं श्रीराम और शस्त्र पूजा के 3 शुभ मुहूर्त
Ratan Tata Death: कौन हैं वो 5 लोग, जिन्हें माना जा रहा टाटा ग्रुप का फ्यूचर
Ratan Tata Funeral: पारसी परंपरा से कैसे होता है अंतिम संस्कार?