इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन बिना अधूरी मानी जाती है तीर्थ यात्रा, विंध्य पर्वत के तप से यहां प्रकट हुए थे महादेव

इस बार 1 मार्च, मंगलवार को महाशिवरात्रि (Mahashivratri 2022) है। ये दिन शिव भक्तों के लिए बहुत ही खास होता है। इस दिन प्रमुख शिव मंदिरों में भक्तों का तांता लगा रहता है। वैसे तो हमारे देश में भगवान शिव के लाखों मंदिर हैं, लेकिन इन सभी में 12 ज्योतिर्लिगों (12 Jyotirlinga) का विशेष महत्व है।
 

Asianet News Hindi | Published : Feb 24, 2022 10:17 AM IST

उज्जैन. इन ज्योतिर्लिंगों में ओंकारेश्वर (Omkareshwar Jyotirling) का स्थान चौथा है। यह ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के खंडवा (Khandva) जिले में स्थित है। इस ज्योतिर्लिंग को ममलेश्वर व अमलेश्वर भी कहते हैं। यह ज्योतिर्लिंग नर्मदा नदी (Narmada river) के तट पर स्थित है। नर्मदा क्षेत्र में ओंकारेश्वर सर्वश्रेष्ठ तीर्थ है। मान्यता के अनुसार यमुना में 15 दिन का स्नान तथा गंगा में 7 दिन का स्नान जो फल प्रदान करता है, उतना पुण्यफल नर्मदा के दर्शन मात्र से प्राप्त हो जाता है।

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ये है ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग की कथा
शिवपुराण के अनुसार एक बार नारद मुनि पर्वतराज विंध्य के पास आए। नारद मुनि को आया देख विंध्य ने उनका आदरपूर्वक सत्कार व पूजन किया। विंध्य को इस बात का अभिमान था कि उसके उसे कभी किसी वस्तु की कमी नहीं होती। उसके मन का भाव जानकर नारद मुनि ने कहा कि तुम्हारे यहां सबकुछ है, लेकिन मेरु पर्वत तुमसे बहुत ऊंचा है, उसके शिखर देवलोक में भी दिखाई देते हैं। नारद मुनि के ऐसा कहने पर विंध्य का अभिमान दूर हो गया और वह भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए तपस्या करने लगा। विंध्य की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव प्रकट हुए और उसे वरदान मांगने के लिए कहा। तब विंध्य ने भगवान शिव से कहा कि मेरी बुद्धि सदा आपके ध्यान में लगी रहे, ये वरदान दीजिए। भगवान शिव ने विंध्य को ये वरदान दे दिया। तभी वहां बहुत से देवता व ऋषि आए और उन्होंने महादेव से कहां कि आप यहां स्थिर रूप से निवास करें। भगवान शिव ने उनकी बात मान ली और उसी स्थान पर ज्योतिर्लिंग के रूप में स्थिर हो गए।

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ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग से जुड़ी खास बातें
1.
जिस पर्वत पर यह ज्योतिर्लिंग स्थापित है वहां ऊँ की आकृति दिखाई देती है। इसलिए इस ज्योतिर्लिंग का नाम ओंकारेश्वर है।
2. धर्म ग्रंथों के अनुसार, यहां 68 तीर्थ स्थित हैं। यहां 33 करोड़ देवता परिवार सहित निवास करते हैं।
3. कहते हैं कि पूर्व में देवी अहिल्याबाई होलकर की ओर से यहाँ रोज मिट्टी के 18 हजार शिवलिंग तैयार कर उनका पूजन करने के पश्चात नर्मदा में विसर्जित कर दिया जाता था।
4. मान्यता है कि कोई भी तीर्थयात्री देश के भले ही सारे तीर्थ कर ले, किन्तु जब तक वह ओंकारेश्वर आकर किए गए तीर्थों का जल लाकर यहां नहीं चढ़ाता, उसके सारे तीर्थ अधूरे माने जाते हैं।

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कैसे पहुंचे?
- यहां से सबसे नजदीकी हवाई अड्डा इंदौर में है। यहां से सड़क मार्ग से आसानी से पहुंचा जा सकता है।
- इंदौर से खंडवा जाने वाली छोटी लाइन से ओंकारेश्वर जाने के लिए ओंकारेश्वर रोड नामक स्टेशन पर उतरें। वहां से ओंकारेश्वर के लिए आसानी से बसें व अन्य साधन मिल जाते हैं।
- इंदौर से ओंकारेश्वर के लिए सीधी बसें भी आसानी से मिल जाती हैं। खंडवा से ओंकारेश्वर की दूरी लगभग 72 किमी है। खंडवा से भी ओंकारेश्वर के लिए बसें व टैक्सी मिलती हैं।

 

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