नागपंचमी: क्या है इच्छाधारी और मणिधारी सांप की सच्चाई? जानिए सांप से जुड़ी 5 ऐसी बातें जो बहुत कम लोग जानते हैं

श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 25 जुलाई, शनिवार को है। इस दिन मुख्य रूप से नाग को देवता मानकर उनकी पूजा की जाती है।

Asianet News Hindi | Published : Jul 24, 2020 2:18 AM IST

उज्जैन. हिंदू धर्म में आज भी नाग को भगवान शिव का आभूषण माना जाता है। पुरातन समय से ही सांपों से जुड़ी कई मान्यताएं व किवंदतियां भी हमारे समाज में फैली हुई हैं। इन मान्यताओं के साथ कई अंधविश्वास भी हैं, जो सदियों से मनुष्य को डराते आ रहे हैं। नाग पंचमी के अवसर पर हम आपको सांपों से जुड़े कुछ ऐसे ही अंधविश्वासों के बारे में बता रहे हैं-

1. क्या सचमुच होते हैं इच्छाधारी सांप?
मान्यता है कि कुछ सांप इच्छाधारी होते हैं यानी वे अपनी इच्छा के अनुसार, अपना रूप बदल लेते हैं और कभी-कभी ये मनुष्यों का रूप भी धारण कर लेते हैं। जीव विज्ञान के अनुसार, इच्छाधारी सांप सिर्फ मनुष्यों का अंधविश्वास और कोरी कल्पना है, इससे ज्यादा और कुछ नहीं। इस विषय पर अनेक फिल्में बनाई जा चुकी हैं, इसलिए इस मान्यता को बल मिलता रहा है। हालांकि, ये मान्यता पूरी तरह से गलत है।

2. क्या सचमुच होते हैं मणिधारी सांप?
सांपों से जुड़ी एक मान्यता है कि कुछ सांप मणिधारी होते हैं यानी इनके सिर के ऊपर एक चमकदार, मूल्यवान और चमत्कारी मणि होती है। जीव विज्ञान के अनुसार, यह मान्यता भी पूरी तरह से अंधविश्वास है, क्योंकि दुनिया में अभी तक जितने भी प्रकार के सांपों के बारे में जानकारी प्राप्त हुई है, उनमें से एक भी सांप मणिधारी नहीं है। तमिलनाडु के इरुला जनजाति के लोग जो सांप पकड़ने में माहिर होते हैं वे भी मणिधारी सांप के होने से इनकार करते हैं।

3. क्या सचमुच होते हैं दो मुंह वाले सांप?
कुछ लोग दो मुंह वाले सांप देखने का भी दावा करते हैं। जीव विज्ञान के अनुसार, किसी भी सांप के दोनों सिरों पर मुंह नहीं होते। हर सांप का एक ही मुंह होता है। कुछ सांपों की पूंछ नुकीली न होकर मोटी और ठूंठ जैसी दिखाई देती है। चालाक सपेरे ऐसे सांपों की पूंछ पर चमकीले पत्थर लगा देते हैं जो आंखों की तरह दिखाई देते हैं और देखने वाले को यह लगता है कि इस सांप को दोनों सिरों पर दो मुंह हैं।

4. क्या दूध पीते हैं सांप?
हिंदू धर्म में सांप को दूध पिलाने का प्रचलन है, जो कि पूरी तरह से गलत है। जीव विज्ञान के अनुसार, सांप पूरी तरह से मांसाहारी जीव है। ये मेंढक, चूहा, पक्षियों के अंडे व अन्य छोटे-छोटे जीवों को खाकर अपना पेट भरते हैं। दूध इनका प्राकृतिक आहार नहीं है। नागपंचमी पर कुछ लोग नाग को दूध पिलाने के नाम पर इन पर अत्याचार करते हैं, क्योंकि इसके पहले ये लोग सांपों को कुछ खाने-पीने को नहीं देते। भूखा-प्यासा सांप दूध को पी तो लेता है, लेकिन कई बार दूध सांप के फेफड़ों में घुस जाता है, जिससे उसे निमोनिया हो जाता है और इसके कारण सांप की मौत भी हो जाती है।

5. बीन की धुन पर क्यों नाचते हैं सांप?
खेल-तमाशा दिखाने वाले कुछ लोग सांप को अपनी बीन की धुन पर नचाने का दावा करते हैं, जबकि ये पूरी तरह से अंधविश्वास है, क्योंकि सांप के तो कान ही नहीं होते। दरअसल ये मामला सांपों की देखने और सुनने की शक्तियों और क्षमताओं से जुड़ा है। सांप हवा में मौजूद ध्वनि तरंगों पर प्रतिक्रिया नहीं दर्शाते पर धरती की सतह से निकले कंपनों को वे अपने निचले जबड़े में मौजूद एक खास हड्डी के जरिए ग्रहण कर लेते हैं।
सांपों की नजर ऐसी है कि वह केवल हिलती-डुलती वस्तुओं को देखने में अधिक सक्षम हैं बजाए स्थिर वस्तुओं के। सपेरे की बीन को इधर-उधर लहराता देखकर नाग उस पर नजर रखता है और उसके अनुसार ही अपने शरीर को लहराता है और लोग समझते हैं कि सांप बीन की धुन पर नाच रहा है।

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