25 मई से शुरू हुआ नौतपा 3 जून तक रहेगा। इस दौरान ज्येष्ठ महीने के शुरुआती दिन रहेंगे। ग्रंथों में बताया गया है कि जब सूर्य रोहिणी नक्षत्र में होता है तो इसके शुरूआती 9 दिन बहुत ही खास होते हैं। इसे नौतपा कहते हैं।
उज्जैन. इस दौरान गर्मी से बचाने वाली चीजों का दान करना चाहिए। ऐसा करने से जो पुण्य मिलता है वो कभी खत्म नहीं होता है। साथ ही इन दिनों किए गए भले कामों से जाने-अनजाने में हुए पाप भी खत्म हो जाते हैं।
दान करें और पेड़-पौधे लगाएं
- पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र के अनुसार, नौतपा के दौरान पेड़-पौधे लगाने से कभी खत्म नहीं होने वाला पुण्य मिलता है।
- नौतपा के दौरान पेड़-पौधों सिंचने यानी उनमें पानी डालने से देवता और पितर प्रसन्न होते हैं साथ ग्रहों के अशुभ फलों में भी कमी आती है।
- नौतपा के दौरान अन्न, जल, कपड़े, छाता और जूते-चप्पल का दान करने की परंपरा भी है।
- पद्म, विष्णुधर्मोत्तर और स्कंद पुराण में बताया गया है कि पीपल, आंवला और तुलसी लगाने से कई गुना पुण्य मिलता है।
- अन्य पुराणों का भी कहना है कि इन पवित्र पेड़-पौधों को लगाने से अश्वमेध यज्ञ जितना पुण्य मिल जाता है।
- इनके साथ ही नीम, बिल्वपत्र, बरगद, इमली और आम के पेड़ भी लगाने से जाने-अनजाने में हुए हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं।
- नौतपा के दौरान धरती पर सूर्य की गर्मी बहुत ज्यादा बढ़ जाती है। ऐसे में धरती के अंदर मौजूद पानी में कमी होने लगती है और पेड़-पौधों को पानी नहीं मिल पाता है। इसलिए धर्म ग्रंथों में नौतपा के दौरान पेड़-पौधों को सींचने की परंपरा बताई गई है।
ये करें नौतपा के दौरान
- सुबह पूजा और दान का संकल्प करने के बाद जरूरतमंद लोगों को सत्तू, पानी का घड़ा, पंखा या धूप से बचाने के लिए छाता भी दान कर सकते हैं।
- नौतपा के दौरान रोहिणी नक्षत्र में सूर्य होता है। इस नक्षत्र के स्वामी ब्रह्माजी हैं। इसलिए नौतपा में आटे से भगवान ब्रह्मा की मूर्ति बनाकर पूजा करने का भी विधान बताया गया है।
- पूजा के बाद आटे की मूर्ति का विसर्जन पानी में कर दें। इससे मछलियों को भी खाना मिलेगा। ऐसा करने से ब्रह्माजी प्रसन्न होते हैं।
- नौतपा में गर्मी के बढ़ जाने से शरीर में पानी की कमी का खतरा भी रहता है। इसलिए इन दिनों जरूरतमंदों को ठंडक देने वाली चीजें दान करने की परंपरा है।
- ऐसा करने से पुण्य मिलता है। नौतपा के दौरान आम, नारियल, गंगाजल, दही, पानी से भरा मिट्टी का मटका, सफेद कपड़े और छाता दान करना चाहिए।
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