नवरात्रि की शुरूआत रविवार को हस्त नक्षत्र, ब्रह्मा योग, कन्या राशि के चंद्रमा व कन्या राशि के ही सूर्य में होगी। कन्या राशि का स्वामी बुध होने से यह पर्व सभी के लिए शुभ रहेगा।
उज्जैन. इस बार शारदीय नवरात्रि के पहले दिन यानी 29 सितंबर को अमृत सिद्धि और सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है। इन्हीं शुभ योगों में घट स्थापना की जाएगी। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. रामचंद्र शर्मा वैदिक के अनुसार, इस बार देवी हाथी पर सवार होकर आएगी और घोड़े पर जाएगी। नवरात्रि की शुरूआत रविवार को हस्त नक्षत्र, ब्रह्मा योग, कन्या राशि के चंद्रमा व कन्या राशि के ही सूर्य में होगी। कन्या राशि का स्वामी बुध होने से यह पर्व सभी के लिए शुभ रहेगा।
1, 3 और 5 रात्रोत्सव
29 सितंबर से 7 अक्टूबर के बीच 2 रविवार व 2 सोमवार है। नवरात्रि के साथ ही देश के विभिन्न हिस्सों में पंच रात्रोत्सव, त्रिरात्रोत्सव व एक रात्रोत्सव मनाने का भी विधान है। पश्चिम बंगाल, आसाम, उड़ीसा, कोलकाता आदि स्थानों पर नवरात्रि साधना के साथ पांच, तीन व एक दिन की देवी साधना भी की जाती है। इसमें महाकाली, महालक्ष्मी व महासरस्वती की उपासना की जाती है।
1 साल में होती हैं 4 नवरात्रि
पं. शर्मा के अनुसार, एक वर्ष में कुल 4 नवरात्रियां होती हैं। इनमें से 2 चैत्र और शारदीय प्रमुख होती हैं। इनके अलावा 2 गुप्त नवरात्रि होती हैं, जो माघ और आषाढ़ मास में आती हैं। शारदीय नवरात्रि में सात्विक विधि से दस महाविद्या, भगवती काली, तारा, षोडशी, भुवनेश्वरी, भैरवी, छिन्नमस्ता, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी व कमला की भी पूजा की जाती है।