Nirjala Ekadashi 2022: निर्जला एकादशी पर ध्यान रखें ये बातें, जानिए क्या करें और क्या नहीं?

हिंदू धर्म में हर तिथि का अलग महत्व बताया गया है। इन सभी में एकादशी तिथि को श्रेष्ठ कहा गया है क्योंकि इसके स्वामी भगवान विष्णु हैं और इस दिन उनकी विशेष पूजा की जाती है साथ ही व्रत भी रखा जाता है।

Manish Meharele | Published : Jun 7, 2022 12:16 PM IST

उज्जैन. पंचांग के अनुसार प्रत्येक हिंदू महीने में दो बार एकादशी तिथि आती है। हर एकादशी को अलग नाम से जाने जाता है। इसी क्रम में ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi 2022) कहते हैं। इस बार ये एकादशी 10 जून, शुक्रवार को है। (पंचांग भेद के कारण कुछ स्थानों पर 11 जून, शनिवार को भी ये व्रत किया जाएगा) मान्यताओं के अनुसार, पूरे साल की एकादशी व्रत करने का फल निर्जला एकादशी व्रत को करने से मिल जाता है। आगे जानिए निर्जला एकादशी व्रत में किन बातों का ध्यान रखना चाहिए…

इन बातों का रखें ध्यान… (Do's and Don'ts on Nirjala Ekadashi)
1.
निर्जला एकादशी की सुबह स्नान आदि करने के बाद सबसे पहले व्रत और पूजा का संकल्प ले। पुराणों के अनुसार, बिना संकल्प के पूजा,व्रत आदि करने का पूरा फल नहीं मिलता। इस संकल्प करने के बाद ही निर्जला एकादशी का व्रत करना चाहिए जिससे कि इस व्रत का संपूर्ण फल हमें प्राप्त हो सके।

2. वैसे तो इस दिन निर्जला व्रत करने का नियम है यानी इस व्रत में न तो कुछ खा सकते हैं और न ही पानी भी पी सकते हैं। लेकिन कुछ कारणों से इन नियमों में छूट मिल सकती है जैसे यदि कोई बुजुर्ग या गर्भवती स्त्री ये व्रत करना चाहती है और उसके लिए भूखा-प्यासा रहना संभव न हो तो फल और गाय के दूध का सेवन किया जा सकता है।

3. निर्जला एकादशी पर तुलसी के पत्ते भगवान विष्णु को जरूर चढ़ाना चाहिए, लेकिन इन्हें एक दिन पहले ही तोड़कर रख लेना चाहिए या पुराने पत्तों को भी साफ पानी से धोकर पुन: उपयोग में ले सकते हैं। पुराणों में कहा गया है कि तुलसी के पत्ते एक बार चढ़ाने के बाद साफ पानी से धोकर दोबारा भी भगवान को अर्पित किए जा सकते हैं।

4. एकादशी पर चावल भूलकर भी नहीं खाना चाहिए। ऐसा करना बहुत ही अशुभ माना जाता है। सिर्फ निर्जला ही नहीं अन्य एकादशी तिथि पर भी इस नियम का पालन आवश्यक रूप से करना चाहिए। 

5. निर्जला एकादशी पर घर में क्लेश न करें, क्योंकि जिन घरों में अशांति होती है, वहां देवी-देवताओं की कृपा नहीं होती। इस दिन किसी भी प्रकार का नशा न करें। एकादशी पर सुबह देर तक न सोएं और ब्रह्मचर्य का पालन करें। 


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