पवित्रा एकादशी 11 अगस्त को, इस दिन व्रत करने से मिलता है खास फल

Published : Aug 10, 2019, 10:43 AM ISTUpdated : Aug 10, 2019, 11:13 AM IST
पवित्रा एकादशी 11 अगस्त को, इस दिन व्रत करने से मिलता है खास फल

सार

धर्म शास्त्रों में इसे पुत्रदा एकादशी भी कहते हैं। मान्यता है कि इस व्रत की कथा सुनने से सुयोग्य पुत्र की प्राप्ति होती है।

उज्जैन. श्रावण महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पवित्रा एकादशी कहते हैं। धर्म शास्त्रों में इसका नाम पुत्रदा एकादशी भी बताया गया है। इस व्रत की कथा सुनने मात्र से वाजपेयी यज्ञ का फल मिलता है व सुयोग्य पुत्र की प्राप्ति होती है। इस बार यह एकादशी 11 अगस्त, रविवार को है।

व्रत विधि

  • पवित्रा एकादशी व्रत का नियम पालन दशमी तिथि (10 अगस्त, शनिवार) की रात से ही शुरू करें व ब्रह्मचर्य का पालन करें। 
  • एकादशी की सुबह रोज के काम जल्दी निपटाकर साफ वस्त्र पहनकर भगवान विष्णु की प्रतिमा के सामने बैठकर व्रत का संकल्प लें। उपवास में अन्न ग्रहण नहीं करें, संभव न हो तो एक समय फलाहारी कर सकते हैं।
  • इसके बाद भगवान विष्णु की पूजा विधि-विधान से करें। (यदि आप पूजन करने में असमर्थ हों तो पूजन किसी योग्य ब्राह्मण से भी करवा सकते हैं।) 
  • भगवान विष्णु को पंचामृत से स्नान कराएं। स्नान के बाद उनके चरणामृत को व्रती (व्रत करने वाला) अपने और परिवार के सभी सदस्यों के अंगों पर छिड़के और उस चरणामृत को पीए। 
  • इसके बाद भगवान को गंध, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य आदि पूजन सामग्री अर्पित करें। विष्णु सहस्त्रनाम का जाप करें एवं व्रत की कथा सुनें। 
  • रात को भगवान विष्णु की मूर्ति के समीप हो सोएं और दूसरे दिन यानी द्वादशी (12 अगस्त, सोमवार) को वेदपाठी ब्राह्मणों को भोजन कराकर व दान देकर आशीर्वाद प्राप्त करें। 
  • इस प्रकार पवित्रा एकादशी व्रत करने से योग्य पुत्र की प्राप्ति होती है।

ये है पवित्रा एकादशी का महत्व
पवित्रा एकादशी का महत्व स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को बताया था। उसी के अनुसार, यदि नि:संतान व्यक्ति यह व्रत पूरे विधि-विधान व श्रद्धा से करता है तो उसे पुत्र प्राप्ति होती है। इसलिए पुत्र सुख की इच्छा रखने वालों को यह व्रत अवश्य करना चाहिए। इसके महत्व को सुनने से मनुष्य सब पापों से मुक्त हो जाता है और इस लोक में संतान सुख भोगकर परलोक में स्वर्ग को प्राप्त होता है।
इस दिन भगवन विष्णु का ध्यान कर व्रत रखना चाहिए। रात्रि में भगवान की मूर्ति के पास ही सोने का विधान है। अगले दिन वेदपाठी ब्राह्मणों को भोजन कराकर दान देकर आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए। इस व्रत को रखने वाले को पुत्र रत्न की प्राप्ति अवश्य होती है। ऐसा धर्म शास्त्रों में कहा गया है।

पवित्रा व्रत की कथा इस प्रकार है-
द्वापर युग के आरंभ में महिष्मती नाम की एक नगरी थी, जिसमें महीजित नाम का राजा राज्य करता था। उसका कोई बेटा नहीं था। अपना बुढ़ापा आते देख राजा बहुत चिंतित हुए और उन्होंने अपनी यह समस्या अपने मंत्रियों व प्रजा के प्रतिनिधियों को बताई। राजा की इस बात को विचारने के लिए मंत्री तथा प्रजा के प्रतिनिधि जंगल में गए। वहां एक आश्रम में उन्होंने महात्मा लोमश मुनि को देखा। उन्होंने राजा की समस्या लोमश मुनि को बताई।

PREV

Recommended Stories

Aaj Ka Panchang 17 दिसंबर 2025: आज करें बुध प्रदोष व्रत, चंद्रमा बदलेगा राशि, जानें अभिजीत मुहूर्त का समय
Aaj Ka Panchang 16 दिसंबर 2025: धनु संक्रांति आज, शुरू होगा खर मास, कौन-से शुभ-अशुभ योग बनेंगे?