पवित्रा एकादशी 11 अगस्त को, इस दिन व्रत करने से मिलता है खास फल

धर्म शास्त्रों में इसे पुत्रदा एकादशी भी कहते हैं। मान्यता है कि इस व्रत की कथा सुनने से सुयोग्य पुत्र की प्राप्ति होती है।

Asianet News Hindi | Published : Aug 10, 2019 5:13 AM IST / Updated: Aug 10 2019, 11:13 AM IST

उज्जैन. श्रावण महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पवित्रा एकादशी कहते हैं। धर्म शास्त्रों में इसका नाम पुत्रदा एकादशी भी बताया गया है। इस व्रत की कथा सुनने मात्र से वाजपेयी यज्ञ का फल मिलता है व सुयोग्य पुत्र की प्राप्ति होती है। इस बार यह एकादशी 11 अगस्त, रविवार को है।

व्रत विधि

ये है पवित्रा एकादशी का महत्व
पवित्रा एकादशी का महत्व स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को बताया था। उसी के अनुसार, यदि नि:संतान व्यक्ति यह व्रत पूरे विधि-विधान व श्रद्धा से करता है तो उसे पुत्र प्राप्ति होती है। इसलिए पुत्र सुख की इच्छा रखने वालों को यह व्रत अवश्य करना चाहिए। इसके महत्व को सुनने से मनुष्य सब पापों से मुक्त हो जाता है और इस लोक में संतान सुख भोगकर परलोक में स्वर्ग को प्राप्त होता है।
इस दिन भगवन विष्णु का ध्यान कर व्रत रखना चाहिए। रात्रि में भगवान की मूर्ति के पास ही सोने का विधान है। अगले दिन वेदपाठी ब्राह्मणों को भोजन कराकर दान देकर आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए। इस व्रत को रखने वाले को पुत्र रत्न की प्राप्ति अवश्य होती है। ऐसा धर्म शास्त्रों में कहा गया है।

पवित्रा व्रत की कथा इस प्रकार है-
द्वापर युग के आरंभ में महिष्मती नाम की एक नगरी थी, जिसमें महीजित नाम का राजा राज्य करता था। उसका कोई बेटा नहीं था। अपना बुढ़ापा आते देख राजा बहुत चिंतित हुए और उन्होंने अपनी यह समस्या अपने मंत्रियों व प्रजा के प्रतिनिधियों को बताई। राजा की इस बात को विचारने के लिए मंत्री तथा प्रजा के प्रतिनिधि जंगल में गए। वहां एक आश्रम में उन्होंने महात्मा लोमश मुनि को देखा। उन्होंने राजा की समस्या लोमश मुनि को बताई।

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