गुजरात का पिण्डारक भी है श्राद्ध के लिए प्रसिद्ध तीर्थ, यहां पिंड पानी में डूबते नहीं बल्कि तैरते हैं

श्राद्ध पक्ष (Shradh Paksha 2021) में प्रमुख तीर्थ स्थनों पर पिंडदान व तर्पण के लिए लोगों की भीड़ उमड़ती है। वैसे तो हमारे देश में पितरों का श्राद्ध, पिंडदान व तर्पण के लिए अनेकों तीर्थ हैं, लेकिन इनमें से कुछ तीर्थ ऐसे हैं जिनका विशेष ही महत्व है।

उज्जैन. आज हम आपको एक ऐसे प्रसिद्ध तीर्थ स्थान के बारे में बता रहे हैं, जिससे कई पौराणिक कहानियां जुड़ी हैं। मान्यता है कि इस स्थान पर श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्त होती है। ये स्थान है गुजरात (Gujarat) में स्थित पिंडारक (pindarak)। 
 

जानिए इस स्थान का महत्व
- इस क्षेत्र का प्राचीन नाम पिण्डारक (pindarak) या पिण्डतारक है। यह जगह गुजरात (Gujarat) में द्वारिका (Dwarka) से लगभग 30 किलोमीटर दूरी पर है। 
- यहां एक सरोवर है, जिसमें यात्री श्राद्ध करके दिए हुए पिंड सरोवर में डाल देते हैं। वे पिण्ड सरोवर में डूबते नहीं बल्कि तैरते रहते हैं। इस चमत्कार को देखने को लिए लोगों की भीड़ उमड़ती है।
- यहां कपालमोचन महादेव, मोटेश्वर महादेव और ब्रह्माजी के मंदिर हैं। साथ ही श्रीवल्लभाचार्य महाप्रभु की बैठक भी है। कहा जाता है कि यहां महर्षि दुर्वासा का आश्रम था। 
- इस स्थान से एक मान्यता ये भी जुड़ी है कि महाभारत युद्ध के पश्चात पांडव सभी तीर्थों में अपने मृत बांधवों का श्राद्ध करने आए थे। 
- पांडव यहां आए तो उन्होंने लोहे का एक पिण्ड बनाया और जब वह पिंड भी जल पर तैर गया तब उन्हें इस बात का विश्वास हुआ कि उनके बंधु-बांधव मुक्त हो गये हैं। कहते हैं कि महर्षि दुर्वासा के वरदान से इस तीर्थ में पिंड तैरते रहते हैं।

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कैसे पहुचें? 
- पिंडारक (pindarak) का निकटतम हवाई अड्डा जामनगर में है। यहां से निजी वाहन या बस द्वारा पिंडारक तक पहुंचा जा सकता है।
- द्वारिका ओखा ब्रॉड गेज रेलवे लाइन पर स्थित है जहाँ से राजकोट, अहमदाबाद और जामनगर के लिए रेल सेवा उपलब्ध है। इसके अलावा कुछ ट्रेन सूरत, वड़ोदरा, गोवा, कर्नाटक, मुंबई तथा केरल तक भी जाती हैं। 
- द्वारका बस की यात्रा कई राज्य राजमार्गों द्वारा जुड़ा हुआ है।

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