किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद किए जाने वाले संस्कार उसका पुत्र ही करता है।
उज्जैन. किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद किए जाने वाले संस्कार उसका पुत्र ही करता है। शास्त्रों के अनुसार, पुत्र ही पिता को पुं नामक नरक से मुक्ति दिलाता है। इसलिए उसे पुत्र कहते हैं- पुं नाम नरक त्रायेताति इति पुत्रः
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार, पुत्र द्वारा पिंडदान, तर्पण आदि करने पर ही पिता की आत्मा को मोक्ष प्राप्त होता है। इसलिए पुत्र को ही श्राद्ध, पिंडदान का अधिकारी माना गया है और नरक से रक्षा करने वाले पुत्र की कामना हर मनुष्य करता है, लेकिन यदि पुत्र न हो तो उसके स्थान पर श्राद्ध, पिंडदान आदि कौन कर सकता है, इस संबंध में भी धर्म ग्रंथों में संपूर्ण जानकारी दी गई है, जो इस प्रकार है...