खरीदी के लिए क्यों शुभ माना जाता है पुष्य नक्षत्र? जानिए इससे जुड़ी अन्य खास बातें?

इस बार 28 अक्टूबर, गुरुवार को गुरु पुष्य का शुभ योग बन रहा है। ज्योतिष शास्त्र में 27 नक्षत्रों के बारे में बताया गया है, लेकिन ज्यादा चर्चा पुष्य की ही होती है क्योंकि इस नक्षत्र को अति शुभ और सौभाग्य बढ़ाने वाला माना गया है, साथ ही इसे नक्षत्रों के राजा होने की संज्ञा भी दी गई है।

Asianet News Hindi | / Updated: Oct 27 2021, 07:15 AM IST

उज्जैन. नक्षत्रों के क्रम में आठवें स्थान पर पुष्य नक्षत्र को माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, पुष्य नक्षत्र में खरीदी गई कोई भी वस्तु बहुत लंबे समय तक उपयोगी रहती है तथा शुभ फल प्रदान करती है, क्योंकि यह नक्षत्र स्थाई होता है। यह नक्षत्र सप्ताह के विभिन्न वारों के साथ मिलकर विशेष योग बनाता है। इन सभी का अपना एक विशेष महत्व होता है। रविवार, बुधवार व गुरुवार को आने वाला पुष्य नक्षत्र अत्यधिक शुभ होता है। आगे जानिए इस नक्षत्र से जुड़ी खास बातें…

ऐसी है पुष्य नक्षत्र की संरचना
प्राचीन ज्योतिष ग्रंथों के अनुसार, पुष्य नक्षत्र के सिरे पर बहुत से बारीक तारे हैं जो कांति वृत्त के अत्यधिक समीप हैं। मुख्य रूप से इस नक्षत्र के तीन तारे हैं जो एक तीर (बाण) की आकृति के समान आकाश में दिखाई देते हैं। इसके तीर की नोक कई बारीक तारा समूहों के गुच्छ (पुंज) के रूप में दिखाई देती है। आकाश में इसका गणितीय विस्तार 3 राशि 3 अंश 20 कला से 3 राशि 16 अंश 40 कला तक है। यह नक्षत्र विषुवत रेखा से 18 अंश 9 कला 56 विकला उत्तर में स्थित है।

ये हैं पुष्य के देवता
पुष्य नक्षत्र के देवता बृहस्पति हैं जो सदैव शुभ कर्मों में प्रवृत्ति करने वाले, ज्ञान वृद्धि एवं विवेक दाता हैं तथा इस नक्षत्र का दिशा प्रतिनिधि शनि हैं जिसे स्थावर भी कहते हैं जिसका अर्थ होता है स्थिरता। इसी से इस नक्षत्र में किए गए कार्य चिर स्थायी होते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, जब पूर्ण चंद्रमा पुष्य नक्षत्र से संयोग करता है वह मास पौष नाम से जाना जाता है। इस तरह पुष्य नक्षत्र साल के 12 महीनों में से एक का निर्धारण करता है।

खरीदी के लिए शुभ है ये नक्षत्र
हिंदू पंचांग के हर महीने में अपने क्रम के अनुसार विभिन्न नक्षत्र चंद्रमा के साथ संयोग करते हैं। जब यह क्रम पूर्ण हो जाता है तो उसे एक चंद्र मास कहते हैं। इस प्रकार हर महीने में पुष्य नक्षत्र का शुभ योग बनता है। दीपावली के पहले आने वाला पुष्य नक्षत्र इसलिए खास माना जाता है, क्योंकि दीपावली के लिए की जाने वाली खरीदी के लिए यह विशेष शुभ होता है जिससे कि जो भी वस्तु इस दिन आप खरीदते हैं वह लंबे समय तक उपयोग में रहती है।

इस नक्षत्र में जन्में लोगों का स्वभाव
पुष्य नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोग सर्वगुण संपन्न, भाग्यशाली तथा विशेष होते हैं। दिखने में यह सुंदर, स्वस्थ, सामान्य कद-काठी के तथा चरित्र में विद्वान, चपल, स्त्रीप्रिय व बोल-चाल में चतुर होते हैं। इस नक्षत्र में जन्में लोग जनप्रिय और नियम पर चलने वाले होते हैं तथा खनिज पदार्थ, पेट्रोल, कोयला, धातु, पात्र, खनन संबंधी कार्य, कुएं, ट्यूबवेल, जलाशय, समुद्र यात्रा, पेय पदार्थ आदि में क्षेत्रों में सफलता हासिल करते हैं।

ग्रंथों में पुष्य नक्षत्र
नक्षत्रों के संबंध में एक कथा भी हमारे धर्म ग्रंथों में मिलती है। उसके अनुसार ये 27 नक्षत्र भगवान ब्रह्मा के पुत्र दक्ष प्रजापति की 27 कन्याएं हैं, इन सभी का विवाह दक्ष प्रजापति ने चंद्रमा के साथ किया था। चंद्रमा का विभिन्न नक्षत्रों के साथ संयोग पति-पत्नी के निश्चल प्रेम का ही प्रतीक स्वरूप है। इस प्रकार चंद्र वर्ष के अनुसार, महीने में एक दिन चंद्रमा पुष्य नक्षत्र के साथ भी संयोग करता है।

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