Sawan 2022: सावन में शिवलिंग पर क्यों चढ़ाते हैं दूध? वजह जानकर हैरान रह जाएंगे आप भी

भगवान शिव के प्रिय सावन (Sawan 2022) मास की शुरूआत हो चुकी है। ये महीना 11 अगस्त तक रहेगा। इस महीने में कई धार्मिक परंपराओं का पालन किया जाता है, शिवलिंग पर दूध चढ़ाना भी उनमें से एक है। इस परंपरा की वजह धार्मिक न होकर वैज्ञानिक है।

उज्जैन. हिंदू धर्म में अनेक परंपराओं को पालन किया जाता है। इन परंपराओं के पीछे वैज्ञानिक, मनोवैज्ञानिक या धार्मिक कारण होते हैं। ऐसी ही कुछ परंपराएं भगवान शिव के प्रिय महीने सावन में निभाई जाती है। इस बार सावन मास की शुरूआत 14 जुलाई से हो चुकी है जो 11 अगस्त तक रहेगा। इस महीने में शिव को प्रसन्न करने के लिए दूध से उनका अभिषेक किया जाता है। ये परंपरा हजारों सालों से चली आ रही है। इस परंपरा के पीछे कई कारण छिपे हैं जिसके बारे में कम ही लोग जानते हैं। आज हम आपको इस परंपरा के पीछे की कुछ खास वजहें बता रहे हैं, जो इस प्रकार हैं…

कारण 1: इस महीने में दूध पीने से होती हैं बीमारियां
आयुर्वेद के अनुसार, सावन में दूध से पीने से कई तरह की बीमारियां होने के खतरा बना रहता है, इसके पीछे का कारण है कि इस दौरान सूर्य की रोशनी सीधे पृथ्वी पर नहीं आ पाती, जिससे हमारी पाचन शक्ति मंद हो जाती है और दूध को पचाने के लिए पाचन शक्ति का मजबूत होना बहुत जरूरी है। साथ ही इस समय दूध पीने से कफ और गैस से जुड़ी परेशानी भी हो सकती है।  

कारण 2: इस मौसम में विषैला हो जाता है दूध
सावन का महीना वर्षा ऋतु के दौरान आता है। इस मौसम में नमी के कारण सूक्ष्मीजीवियों जैसे विषाणु और जीवाणु की संख्या में अचानक वृद्धि हो जाती है। जो हरी सब्जियों और चारा आदि को विषैला कर देते हैं। जब ये घास गाय-भैंस खाती हैं तो इसका प्रभाव उनके दूध पर भी होता है। ये दूध पीने से सेहत पर इसका हानिकारक असर होता है। यही कारण है इस समय दूध और इससे बनी चीजों को खाने-पीने से बचना चाहिए।

इसलिए चढ़ाते हैं शिवलिंग पर दूध
सावन में दूध न पीने से सेहत पर इसका बुरा असर हो सकता है, ये बातें हमारे विद्वानों ने सालों पहले जान ली थी तो इस दूध का क्या किया जाए ये सोचकर उन्होंने सावन में शिवलिंग पर दूध चढ़ाने की परंपरा बनाई। ताकि लोग धर्म का पालन भी कर लें और उनकी सेहत पर भी किसी तरह का कोई हानिकारक प्रभाव न हो। कुछ लोग शिवलिंग पर दूध चढ़ाने की परंपरा को गलत ठहराते हैं लेकिन इसके पीछे का कारण धार्मिक न होकर पूर्णत: वैज्ञानिक है।

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