श्रावण (सावन) मास का महत्व कई धर्म ग्रंथों में बताया गया है। ये भगवान शिव का प्रिय महीना भी है। शिव पुराण में कहा गया है कि सावन मास में भगवान शिव की आराधना के साथ ही पूज्य पेड़-पौधे लगाने और उनका दान करने से देवताओं का साथ-साथ हमारे पितृ भी प्रसन्न होते हैं।
उज्जैन. श्रावण (सावन) मास का महत्व कई धर्म ग्रंथों में बताया गया है। ये भगवान शिव का प्रिय महीना भी है। शिव पुराण में कहा गया है कि सावन मास में भगवान शिव की आराधना के साथ ही पूज्य पेड़-पौधे लगाने और उनका दान करने से देवताओं का साथ-साथ हमारे पितृ भी प्रसन्न होते हैं।
पेड़-पौधे लगाने से खुश होते हैं पितृ और देव
श्रावण महीने में बिल्वपत्र, शमीपत्र, शिवलिंगी, अशोक, मदार और आंवले का पौधारोपण करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं। इनके साथ ही अनार, पीपल, बरगद, नीम और तुलसी लगाने से पितर प्रसन्न होते हैं। पौधारोपण के साथ ही इन पेड़-पौधों का दान करने से भी उतना ही पुण्य मिलता है।
सावन में करें दूध और फलों के रस का दान
सावन महीने में किसी भी चीज का दान करने से कई गुना पुण्य फल मिलता है। इस महीने में रूद्राक्ष, दूध, चांदी के नाग, फलों का रस और आंवला दान करने से जाने-अनजाने में किए पाप खत्म हो जाते हैं। साथ ही इस महीने में पौधारोपण करने से पितृ देवता प्रसन्न होते हैं।
दीपदान के समान है विद्या दान
श्रावण महीने में हर दिन दीपदान करने का बहुत महत्व है। दीप यानि ज्ञान प्रकाश। प्रकाश फैलाने की प्रेरणा दीप पूजन में है। इसका मतलब हमें विद्या-दान के क्षेत्र में भी संकल्पित होकर उतरना चाहिए, ताकि शिव भगवान की कृपा मिले।
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