सार

हमारे देश में भगवान शिव के अनेक मंदिर हैं जहां शिवलिंग या शिव प्रतिमा की पूजा की जाती है। लेकिन एक मंदिर ऐसा भी है जहां भगवान शिव के पैरे के अंगूठे को पूजा जाता है।

उज्जैन. ये मंदिर है राजस्थान के हिल स्टेशन माउंट आबू के निकट अचलेश्वर महादेव का। माउंट आबू से करीब ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में स्थित भगवान शिव के अंगूठे के कारण ही माउंट आबू के पहाड़ टिके हुए हैं।

3 बार रंग बदलता है शिवलिंग
इस मंदिर की एक और विशेषता ये है कि इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग दिन में 3 बार अपना रंग बदलता है। यह शिवलिंग देखने में तो बिल्‍कुल सामान्य शिवलिंग की तरह है, लेकिन इसके बदलते हुए रंग सभी को हैरान कर देते हैं। शिवलिंग का रंग सुबह के समय लाल होता है। दोपहर के समय इसका रंग केसरिया में बदल जाता है। रात होते होते ही ये श्याम रंग का हो जाता है।

मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा
जब अर्बुद पर्वत पर स्थित नंदीवर्धन हिलने लगा तो हिमालय में तपस्या कर रहे भगवान शंकर की तपस्या भंग हो गई क्योंकि इसी पर्वत पर भगवान शिव का प्यारा बैल नंदी भी था। शिवजी को पर्वत के साथ नंदी को भी बचाना था। भगवान शंकर ने हिमालय से ही अंगूठा फैलाया और अर्बुद पर्वत को स्थिर कर दिया। नंदी बच गए और अर्बुद पर्वत भी स्थिर हो गया।

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