हिंदू कैलेंडर का पांचवां महीना सावन 25 जुलाई से शुरू हो चुका है, जो 22 अगस्त तक रहेगा। इस महीने से ही वर्षा ऋतु अपने चरम पर रहती है।
उज्जैन. शिव पुराण में इस महीने का महत्व बताया गया है। इस महीने के स्वामी शिव हैं। इन दिनों में की गई शिव पूजा से जाने-अनजाने में हुए पाप खत्म हो जाते हैं।
श्रवण नक्षत्र से बना सावन महीना
पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र के अनुसार, हिंदू पंचांग में सभी महीनों के नाम नक्षत्रों पर आधारित हैं। हर महीने की पूर्णिमा को चंद्रमा जिस नक्षत्र में होता है उस महीने का नाम उसी नक्षत्र के पर रखा गया है। श्रावण नाम भी श्रवण नक्षत्र पर आधारित हैं। सावन महीने की पूर्णिमा को चंद्रमा श्रवण नक्षत्र में रहता है। इसलिए प्राचीन ज्योतिषियों ने इस महीने का नाम श्रावण रखा है। इस नक्षत्र के स्वामी चंद्रमा है। सावन महीने की पूर्णिमा तिथि पर श्रवण नक्षत्र के संयोग में रक्षाबंधन पर्व मनाया जाता है।
करें शिव, विष्णु और शुक्र पूजा
सावन महीने के देवता शुक्र हैं और शिवजी के साथ इस महीने में भगवान विष्णु के श्रीधर रूप की पूजा भी करनी चाहिए। इसलिए सावन में भगवान शिव, विष्णु और शुक्र की पूजा के साथ व्रत करने का महत्व बताया गया है। इनकी आराधना के दौरान कुछ नियमों का भी ध्यान रखना चाहिए।
स्कंदपुराण के अनुसार क्या करें
- स्कंदपुराण के अनुसार सावन महीने में एकभुक्त व्रत करना चाहिए। यानी एक समय ही भोजन करना चाहिए।
- इसके साथ ही पानी में बिल्वपत्र या आंवला डालकर नहाना चाहिए। इससे जाने-अनजाने में हुए पाप खत्म हो जाते हैं।
- इस महीने के दौरान भगवान विष्णु का वास जल में होता है। इसलिए इस महीने में तीर्थ के जल से नहाने का बहुत महत्व है।
- मंदिरों में या संतों को कपड़ों का दान देना चाहिए। इसके साथ ही चांदी के बर्तन में दूध, दही या पंचामृत का दान करें।
- तांबे के बर्तन में अन्न, फल या अन्य खाने की चीजों को रखकर दान करना चाहिए।
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