Navratri 2022: क्यों मनाते हैं नवरात्रि पर्व, 9 दिनों तक ही क्यों मनाया जाता है ये उत्सव?

Navratri 2022: हिंदू धर्म में नवरात्रि पर्व का विशेष महत्व है। ये एकमात्र ऐसा उत्सव है जो साल में 4 बार मनाया जाता है। इनमें से 2 प्रकट नवरात्रि होती है और 2 गुप्त। आश्विन मास में साल की दूसरी प्रकट नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। 
 

Manish Meharele | Published : Sep 11, 2022 7:15 AM IST / Updated: Sep 12 2022, 03:23 PM IST

धर्म ग्रंथों के अनुसार, आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से नवमी तिथि तक शारदीय नवरात्रि (Sharadiya Navratri 2022) का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये उत्सव 26 सितंबर, सोमवार से 4 अक्टूबर, मंगलवार तक मनाया जाएगा। इन 9 दिनों में रोज माता के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। शारदीय नवरात्रि का पर्व क्यों मनाया जाता है। इससे जुड़ी कई मान्यताएं और परंपराएं हैं। आज हम आपको इस पर्व से जुड़ी प्रमुख कथा के बारे में बता रहे हैं, जो इस प्रकार है…

 
महिषासुर को मिले वरदान
पौराणिक कथाओं के अनुसार, महिषासुर नाम का एक दैत्य था। वह रंभ नाम के असुर और एक महिष यानी भैंस के मिलन से उत्पन्न हुआ था। इसलिए उसका नाम महिषासुर था। इस वजह से वह इच्छानुसार जब चाहे भैंस और जब चाहे दैत्य का रूप धारण कर सकता था। उसने तपस्या करके ब्रह्माजी को प्रसन्न कर लिया और कई वरदान पाकर वह देवताओं को सताने लगा।

जब महिषासुर ने देवताओं को किया पराजित
एक दिन महिषासुर ने स्वर्ग पर आक्रमण कर देवताओं के राजा इंद्र को पराजित कर दिया। महिषासुर से डरकर सभी देवता शिव, विष्णु और ब्रह्मा के पास गए। तब तीनों देवताओं ने मिलकर कहा कि “सभी देवता गण मिलकर आदि शक्ति का आवाहन करो, वही इस दैत्य का सर्वनाश करने में सक्षम है।” तब सभी देवताओं ने मिलकर आदि शक्ति का आवाहन किया।

ऐसे प्रकट हुईं देवी दुर्गा
भगवान शिव और विष्णु के क्रोध व अन्य देवताओं से मुख से एक तेज प्रकट हुआ, जो नारी स्वरूप में परिवर्तित हो गया। शिव के तेज से देवी का मुख, यमराज के तेज से केश, विष्णु के तेज से भुजाएं, चंद्रमा के तेज से वक्षस्थल, सूर्य के तेज से पैरों की अंगुलियां, कुबेर के तेज से नाक, प्रजापति के तेज से दांत, अग्नि के तेज से तीनों नेत्र, संध्या के तेज से भृकुटि और वायु के तेज से कानों की उत्पत्ति हुई। इसके बाद देवताओं ने अपने-अपने अस्त्र-शस्त्र देवी को प्रदान किए। 

देवी ने ललकारा महिषासुर को
देवताओं से अस्त्र-शस्त्र पाकर देवी दुर्गा ने महिषासुर को ललकारा। देवी और महिषासुर की सेना में महाभयंकर युद्ध हुआ। देवी ने महिषासुर की सेना का नाश किया। इसके बाद महिषासुर और देवी दुर्गा का युद्ध शुरू हुआ, जो 9 दिनों तक चला। दसवें दिन देवी ने महिषासुर का वध कर दिया। मान्यता है कि इन 9 दिनों में देवताओं ने रोज देवी की पूजा-आराधना कर उन्हें बल प्रदान किया।

इसलिए 9 दिनों तक मनाते हैं नवरात्रि पर्व?
महिषासुर का वध करने के चलते ही देवी का एक नाम महिषासुर मर्दिनी पड़ा। जब महिषासुर और देवी में युद्ध हो रहा था, उस समय आश्विन मास चल रहा था। इन्हीं 9 दिनों को यादकर हमारे पूर्वजों ने नवरात्रि पर्व मनाने की शुरूआत की। इन 9 दिनों में देवी के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है और उनसे शक्ति प्राप्त करने के लिए साधना भी। यही कारण है कि आश्विन मास की प्रतिपदा से नवमी तिथि तक नवरात्रि पर्व मनाया जाता है।

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