हिंदुओं के पवित्र स्थलों में से एक शारदा पीठ में कश्मीरी पंडितों ने मंदिर निर्माण का कार्य शुरू कर दिया है। सेव शारदा कमेटी ने मंदिर निर्माण के साथ वहां धर्मशाला का निर्माण भी शुरू किया दिया है। कश्मीरी पंडितों ने इसे ऐतिहासिक मौका बताया है।
उज्जैन. शारदा मंदिर के शिलान्यास समारोह के बाद किशनगंगा नदी पर जीरो लाइन पर बने पुल पर पवित्र जल विसर्जित किया गया। केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय की वक्फ विकास समिति अध्यक्ष दरक्षान अंद्राबी ने मंदिर की आधारशिला रखी। इस स्थान का पुरात्तव के साथ-साथ धार्मिक महत्व भी है। कभी ये स्थान शिक्षा का प्रमुख केंद्र था।
यहां स्थित है ये धार्मिक स्थल
ये स्थान पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में है, जो कश्मीर के कुपवाड़ा से करीब 22 किलोमीटर दूर है। शारदा पीठ हिंदुओं का 5 हजार साल पुराना धर्मस्थल है। इसे महाराज अशोक ने 237 ईसा पूर्व में बनवाया था। 1947 के पहले तीर्थयात्री तीतवाल के रास्ते वहां जाते थे। शारदी पीठ जो अब शारदा गांव में नीलम नदी के किनारे एक परित्यक्त मंदिर है, कभी ये शिक्षा का प्रमुख केंद्र था। एक समय ऐसा भी था जब वैसाखी पर कश्मीरी पंडित सहित पूरे भारत से लोग तीर्थाटन करने शारदा पीठ जाते थे।
क्या है इस स्थान है धार्मिक महत्व?
- श्रीनगर से 130 किलोमीटर की दूरी पर स्थित शारदा पीठ देवी के 18 महाशक्ति पीठों में से एक है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार यहां देवी सती का दायां हाथ गिरा था।
- इस मंदिर को ऋषि कश्यप के नाम पर कश्यपपुर के नाम से भी जाना जाता था। शारदा पीठ में देवी सरस्वती की आराधना की जाती है।
- वैदिक काल में इसे शिक्षा का केंद्र भी कहा जाता था। मान्यता है कि ऋषि पाणीनि ने यहां अपने अष्टाध्यायी की रचना की थी। यह श्री विद्या साधना का महत्वपूर्ण केन्द्र था।
- शैव संप्रदाय की शुरुआत करने वाले आदि शंकराचार्य और वैष्णव संप्रदाय के प्रवर्तक रामानुजाचार्य दोनों ने ही यहां महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की। शंकराचार्य यहीं सर्वज्ञपीठम पर बैठे तो रामानुजाचार्य ने यहां ब्रह्म सूत्रों पर अपनी समीक्षा लिखी।
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