
उज्जैन. शीतला माता (Sheetla Puja 2022) का वर्णन स्कंद पुराण (Skanda Purana) में मिलता है। पौराणिक मान्यता है कि इनकी पूजा और व्रत करने से चेचक के साथ ही शीतजन्य अन्य तरह की बीमारियां और संक्रमण नहीं होता है। शीतला माता को ठंडे भोजन का भोग लगाने की परंपरा है। खास बात ये है कि इस व्रत के दौरान घर में ताजा भोजन नहीं पकाया जाता बल्कि एक दिन पहले बनाए गया भोजन ही प्रसाद के रूप में खाया जाता है। इस परंपरा के पीछे सिर्फ धार्मिक ही नहीं बल्कि वैज्ञानिक महत्व भी है। आगे जानिए इस परंपरा से जुड़ी खास बातें…
ये है ठंडा भोजन करने के पीछे का कारण
- शीतला माता का ही एकमात्र व्रत ऐसा है जिसमें एक दिन पहले बनाया हुआ भोजन करने की परंपरा है। इसलिए इस व्रत को बसौड़ा या बसियौरा भी कहते हैं। माना जाता है कि ऋतुओं के बदलने पर खान-पान में बदलाव करना चाहिए है। इसलिए ठंडा खाना खाने की परंपरा बनाई गई है।
- शीतला सप्तमी और अष्टमी का पर्व ऋतुओं के संधिकाल पर आता है यानी सर्दी (शीत ऋतु) के जाने का और गर्मी (ग्रीष्म ऋतु) के आने का समय है। आयुर्वेद के अनुसार, दो ऋतुओं के संधिकाल में खान-पान का विशेष ध्यान रखना चाहिए। संधिकाल में आवश्यक सावधानी रखी जाती है तो कई तरह की मौसमी बीमारियों से रक्षा हो जाती है।
- जो लोग शीतला सप्तमी पर ठंडा खाना खाते हैं, उनका बचाव ऋतुओं के संधिकाल में होने वाली बीमारियां से हो जाता है। वर्ष में एक दिन सर्दी और गर्मी के संधिकाल में ठंडा भोजन करने से पेट और पाचन तंत्र को भी लाभ मिलता है।
- कई लोगों को ठंड के कारण बुखार, फोड़े-फूंसी, आंखों से संबंधित परेशानियां आदि होने की संभावनाएं रहती हैं, उन्हें हर साल शीतला सप्तमी पर बासी भोजन करना चाहिए। गुजरात में, कृष्ण जन्माष्टमी से ठीक एक दिन पहले बसोड़ा जैसा ही अनुष्ठान मनाया जाता है और इसे शीतला सतम के नाम से जाना जाता है।
शीतला सप्तमी की कथा इस प्रकार है-
किसी गांव में एक महिला रहती थी। वह शीतला माता की भक्त थी तथा शीतला माता का व्रत करती थी। उसके गांव में और कोई भी शीतला माता की पूजा नहीं करता था। एक दिन उस गांव में किसी कारण से आग लग गई। उस आग में गांव की सभी झोपडिय़ां जल गई, लेकिन उस औरत की झोपड़ी सही-सलामत रही। सब लोगों ने उससे इसका कारण पूछा तो उसने बताया कि मैं माता शीतला की पूजा करती हूं। इसलिए मेरा घर आग से सुरक्षित है। यह सुनकर गांव के अन्य लोग भी शीतला माता की पूजा करने लगे।