Pitru Paksha 2022: बचना चाहते हैं पितरों के क्रोध से तो श्राद्ध पक्ष में ना करें ये 5 काम

Shraddha Paksha 2022: हिंदू धर्म में श्राद्ध पक्ष का विशेष महत्व माना गया है। मान्यता है कि श्राद्ध पक्ष के दौरान मृत पूर्वज अपने वंशजों को आशीर्वाद देने धरती पर आते हैं। इस दौरान उनकी आत्मा की शांति के लिए विशेष पूजा की जाती है।
 

Manish Meharele | Published : Sep 9, 2022 4:08 AM IST / Updated: Sep 10 2022, 08:54 AM IST

उज्जैन. भाद्रपद मास की पूर्णिमा से आश्विन मास की अमावस्या तक के समय को पितृ पक्ष (Pitru Paksha 2022) कहते हैं। इस बार पितृ पक्ष 10 से 25 सितंबर तक रहेगा। इस दौरान लोग अपने मृत पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए विशेष उपाय व पूजा आदि करते हैं। श्राद्ध पक्ष से जुड़ी कई मान्यताएं और परंपराएं भी हैं, जो इसे खास बनाती है। धर्म ग्रंथों में श्राद्ध से जुड़े कुछ खास नियम (What not to do in Shradh) भी बताए गए हैं। आगे जानिए इन नियमों के बारे में…

ये चीजें न खाएं श्राद्ध पक्ष में
धर्म ग्रंथों के अनुसार, श्राद्ध पक्ष बहुत ही पवित्र दिन होते हैं। इस दौरान तामसिक चीजें जैसे लहसुन-प्याज आदि नहीं खाना चाहिए। इसके अलावा चना, काले उड़द, काला नमक, राई, सरसों आदि नहीं खाना चाहिए। वायु पुराण के अनुसार श्राद्ध पक्ष में मांसाहार व शराब से बचना चाहिए, नहीं तो पितृ नाराज हो जाते हैं। इसके गंभीर परिणाम निकट भविष्य में भुगतना पड़ सकता है। इन दिनों में पान भी नहीं खाना चाहिए।

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बाल न कटवाएं, नाखून भी न काटें
धर्म ग्रंथों के अनुसार, श्राद्ध पक्ष के दौरान क्षौर कर्म यानी बाल कटवाना, शेविंग करवाना या नाखून काटना आदि की मनाही है। यानी ये सभी काम श्राद्ध पक्ष में नहीं करना चाहिए। श्राद्ध पक्ष में बॉडी मसाज या तेल की मालिश नहीं करवानी चाहिए। इन 16 दिनों में पितृ देवताओं की पूजा करनी चाहिए और गलत कामों की ओर मन नहीं लगाना चाहिए। 

दूसरे के घर पर न करें श्राद्ध
धर्म ग्रंथों के अनुसार, श्राद्ध कभी किसी दूसरे व्यक्ति के घर पर नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से उस श्राद्ध का फल आपके पितरों को न लगकर जिसकी भूमि है, उसके पितरों को मिल जाता है। नदी, पर्वत, तीर्थ आदि पर श्राद्ध कर सकते हैं क्योंकि इन पर किसी व्यक्ति का अधिकार नहीं माना गया है।

ब्रह्मचर्य का पालन करें
धर्म ग्रंथों के अनुसार, श्राद्ध पक्ष के दौरान पूरी तरह से ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। मन, वचन और कर्म तीनों के माध्यम से किसी रूप में ब्रह्मचर्य व्रत टूटना नहीं चाहिए। यानी किसी भी तरह के अनुचित विचार में मन में नहीं आना चाहिए। सात्विकता का पालन करते हुए ये 16 दिन पत्नी से दूर रहने का नियम है।

ऐसे बर्तन व आसन का करें उपयोग
पुराणों के अनुसार, श्राद्ध के भोजन के लिए सोने, चांदी, कांसे या तांबे के बर्तन उत्तम माने गए हैं। इनके अभाव में दोना-पत्तल का उपयोग किया जा सकता है। लोहे के आसन पर बैठकर श्राद्ध कर्म नहीं करना चाहिए। रेशमी, कंबल, लकड़ी, कुशा आदि के आसन श्रेष्ठ हैं।


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