सार

Pitru Paksha 2022: हिंदू धर्म में श्राद्ध पक्ष का विशेष महत्व है। ये 16 दिनों का एक विशेष समय होता है जब लोग अपने पूर्वजों को याद करते हैं और उनकी स्मृति में दान-पुण्य आदि करते हैं। इस बार श्राद्ध पक्ष 10 से 25 सितंबर तक रहेगा।
 

उज्जैन. धर्म ग्रंथों के अनुसार, भाद्रपद मास की पूर्णिमा से आश्विन मास की अमावस्या तक का समय श्राद्ध पक्ष (Shraddha Paksha 2022) कहलाता है। इसे पितृ पक्ष (Pitru Paksha 2022) भी कहते हैं। इन 16 दिनों में लोग अपने मृत पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण, पिंडदान आदि करते हैं। इस दौरान ब्राह्मण भोज व दान करने का विशेष महत्व है। इस बार श्राद्ध पक्ष 10 से 25 सितंबर तक रहेगा। श्राद्ध पक्ष की हर तिथि का अपना विशेष महत्व है। आगे जानिए इस दौरान किस दिन, कौन-सी तिथि रहेगी और उनका महत्व… 

10 सितंबर 2022, शनिवार- पूर्णिमा श्राद्ध
ये श्राद्ध पक्ष का प्रथम दिन होता है। जिन लोगों को अपने मृत परिजनों को श्राद्ध में शामिल करना होता है, वे इस दिन तीर्थ स्थानों पर विशेष पूजा करवाते हैं।

15 सितंबर 2022, गुरुवार- पंचमी का श्राद्ध
इसे कुंवारा पंचमी भी कहते हैं। जिन लोगों के परिजनों की मृत्यु कुंवारेपन में हुई हो, उन्हें इस दिन विशेष रूप से इनके निमित्त पिंडदान करना चाहिए। इससे इनकी आत्मा को शांति मिलती है। 
20 सितंबर 2022, सोमवार- नवमी का श्राद्ध
यह तिथि माता और परिवार की विवाहित महिलाओं के श्राद्ध के लिए श्रेष्ठ मानी गई है। इसलिए इसे मातृ नवमी भी कहते हैं। इस दिन परिवार की उन महिलाओं का श्राद्ध करना चाहिए, जिनकी मृत्यु विवाहित अवस्था में हुई हो।

23 सितंबर 2022, गुरुवार- द्वादशी/सन्यासियों का श्राद्ध
धर्म ग्रंथों के अनुसार, अगर परिवार का कोई पूर्वज सन्यासी होकर मृत हुआ हो तो ऐसे पूर्वजों का श्राद्ध द्वादशी तिथि को करने का विधान है। इस तिथि को सन्यासी श्राद्ध भी कहा जाता है।
 
24 सितंबर 2022, शुक्रवार- त्रयोदशी का श्राद्ध
अगर परिवार में किसी की मृत्यु बाल्य अवस्था में हुई हो और उनकी मृत्यु तिथि पता न हो तो ऐसे बच्चों का श्राद्ध त्रयोदशी तिथि को करना चाहिए। इससे उनकी आत्मा को शांति मिलती है।

25 सितंबर 2022, शनिवार- चतुर्दशी का श्राद्ध
परिवार में किसी सदस्य की मृत्यु घटना-दुर्घटना के दौरान हुई हो या किसी शस्त्र के द्वारा मारे गए हो तो उनका श्राद्ध चतुर्दशी तिथि पर जरूर करना चाहिए। भले ही उनकी मृत्यु तिथि पता हो तो भी। इस तिथि का गरुण पुराण में विशेष महत्व बताया गया है।

26 सितंबर 2022, रविवार- सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या 
ये श्राद्ध पक्ष की अंतिम तिथि होती है। जिन लोगों को अपने मृत परिजनों की मृत्यु तिथि पता न हो, उन्हें इस तिथि पर उनके निमित्त पिंडदान, तर्पण आदि करना चाहिए। इससे उनकी आत्मा को शांति मिलती है।


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