Shradh Paksha: उत्तराखंड में है ब्रह्मकपाली तीर्थ, पांडवों ने यहीं किया था अपने परिजनों का पिंडदान

इन दिनों श्राद्ध पक्ष (Shradh Paksha 2021) चल रहा है, जो 6 अक्टूबर तक रहेगा। इन 16 दिनों में लोग अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए तीर्थ स्थान पर श्राद्ध व पिंडदान आदि कर्म करते हैं। हमारे देश में श्राद्ध के लिए अनेक तीर्थ स्थान है और इन सभी का अपना-अपना महत्व है।

उज्जैन. श्राद्ध और तर्पण के लिए प्रसिद्ध है ब्रह्मकपाली (Brahma Kapal)। ये उत्तराखंड (Uttarakhand) के बदरीकाश्रम के निकट है। श्राद्ध पक्ष में यहां रोज हजारों की संख्या में लोग अपने पूर्वजों का पिंडदान करने पहुंचते हैं। इस स्थान से कई किवदंतियां भी जुड़ी हुई हैं। आगे जानिए इससे जुड़ी खास बातें…

1.
कहते हैं कि गया में श्राद्ध (Shradh Paksha 2021) करने के उपरांत अंतिम श्राद्ध उत्तरखंड के बदरीकाश्रम क्षेत्र के ब्रह्मकपाली (Brahma Kapal)) में किया जाता है। गया के बाद सबसे महत्वपूर्ण स्थान है।
2. जिन पितरों को गया में मुक्ति नहीं मिलती या अन्य किसी और स्थान पर मुक्ति नहीं मिलती उनका यहां पर श्राद्ध करने से मुक्ति मिल जाती है। यह स्थान बद्रीनाथ धाम के पास अलकनंदा नदी के तट पर स्थित है।
3. मान्यता है कि युद्ध में अपने बंधु-बांधवों की हत्या करने पर पांडवों को गोत्र हत्या का पाप लगा था। गोत्र हत्या के पाप से मुक्ति पाने के लिए स्वर्गारोहिणी यात्रा पर जाते हुए पांडवों ने ब्रह्मकपाल में ही अपने पितरों को तर्पण किया था।
4. पुराणों के अनुसार यह स्थान महान तपस्वियों और पवित्र आत्माओं का है। श्रीमद्भागवत पुराण अनुसार यहां सूक्ष्म रूप में महान आत्माएं निवासरत हैं।
5. ब्रह्म कपाली (Brahma Kapal)) में किया जाने वाला पिंडदान आखिरी माना जाता है। इसके बाद उक्त पूर्वज के निमित्त‍ किसी भी तरह का पिंडदान या श्राद्ध कर्म (Shradh Paksha 2021) नहीं किया जाता है।
6. ऐसा माना जाता है कि भगवान ब्रह्मा, ब्रह्मा कपाल के रूप में निवास करते हैं। किसी काल में ब्रह्मा के पांच सिर थे उसमें से एक सिर कटकर यहीं गिरा था। अलकनंदा नदी के तट पर ब्रह्माजी के सिर के आकार की शिला आज भी विद्यमान है।
7. ब्रह्मकपाल को पितरों की मोक्ष प्राप्ति का सर्वोच्च तीर्थ (महातीर्थ) कहा गया है। पुराणों में उल्लेख है कि ब्रह्मकपाल में पिंडदान करने के बाद फिर कहीं पिंडदान की जरूरत नहीं रह जाती।
8. स्कंद पुराण के अनुसार पिंडदान के लिए गया, पुष्कर, हरिद्वार, प्रयागराज व काशी भी श्रेयस्कर हैं, लेकिन भू-वैकुंठ बदरीनाथ धाम स्थित ब्रह्मकपाल में किया गया पिंडदान इन सबसे आठ गुणा ज्यादा फलदायी है।

श्राद्ध पक्ष के बारे में ये भी पढ़ें 

Latest Videos

Shradh Paksha: सपने में पितरों का दिखना होता है खास संकेत, जानिए ऐसे सपनों का अर्थ

Shradh Paksha: तर्पण करते समय कौन-सा मंत्र बोलना चाहिए, अंगूठे से ही क्यों देते हैं पितरों को जल?

Shradh Paksha: संतान न होने पर कौन कर सकता है श्राद्ध, अपने घर या तीर्थ पर ही क्यों करना चाहिए पिंडदान?

Shradh Paksha: चीन, जापान, जर्मनी आदि देशों में भी पितरों की याद में किए जाते हैं धार्मिक आयोजन

Shradh Paksha: श्राद्ध करने से पहले सभी के लिए जरूरी है ये 12 बातें जानना, नहीं तो नाराज हो सकते हैं पितृ

Shradh Paksha: किस तिथि और नक्षत्र में किए गए श्राद्ध का क्या फल मिलता है, बताया गया है महाभारत में

कुंडली में है पितृ दोष तो आपके लिए बहुत खास है श्राद्ध पक्ष, अशुभ फल से बचने के लिए करें ये उपाय

Shradh Paksha: मृत्यु तिथि याद न हो तो किस दिन करें पितरों का श्राद्ध? ये है सबसे आसान विधि

Shradh Paksha: श्राद्ध करते समय ध्यान रखें ये 10 बातें, प्रसन्न होंगे पितृ और घर में बनी रहेगी सुख-समृद्धि

Shradh Paksha: सबसे पहले किसने किया था श्राद्ध, इन 16 दिनों में कौन-से काम नहीं करना चाहिए?

Shradh Paksha: श्राद्ध पक्ष में तर्पण और पिंडदान करने से मिलती है पितृ ऋण से मुक्ति, जानिए महत्व

Shradh Paksha: 20 सितंबर से 6 अक्टूबर तक रहेगा श्राद्ध पक्ष, 2 दिन पंचमी तिथि होने से 17 दिन का रहेगा

Share this article
click me!

Latest Videos

राजस्थान में बोरवेल में गिरी 3 साल की मासूम, रेस्क्यू ऑपरेशन जारी । Kotputli Borewell News । Chetna
LIVE 🔴: रविशंकर प्रसाद ने भाजपा मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया | Baba Saheb |
ममता की अद्भुत मिसाल! बछड़े को बचाने के लिए कार के सामने खड़ी हुई गाय #Shorts
LIVE 🔴: कैथोलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित क्रिसमस समारोह में पीएम मोदी का भाषण
Hanuman Ashtami: कब है हनुमान अष्टमी? 9 छोटे-छोटे मंत्र जो दूर कर देंगे बड़ी परेशानी