
उज्जैन. सिर्फ भारत ही नहीं और भी कई ऐसे देश और समुदाय हैं जिनमें समय-समय पर पितृों (Shradh Paksha 2021) को याद किया जाता है और उनकी आत्मा की शांति के लिए उत्सव मनाए जाते हैं। इनमें चीन, जर्मनी, सिंगापुर, मलेशिया और थाईलैंड समेत कई अन्य देश भी शामिल हैं। आगे जानिए दुनिया के दूसरे देशों में पितरों को कब और किस प्रकार याद किया जाता है…
चीन में होता है चिंग-मिंग फेस्टिवल
ये उत्सव हर साल 4-5 अप्रैल को मनाया जाता है। चिंग का अर्थ साफ और मिंग का अर्थ उज्जवल होता है। इस दिन लोग पूर्वजों को याद करके उनकी कब्र की सफाई करने कब्रिस्तान जाते हैं और पूजा-प्रार्थना के बाद कब्र की परिक्रमा करते हैं। ये करीब 2 हजार साल पुरानी परंपरा है। इस दिन पूर्वजों को ठंडा खाना खिलाते हैं और खुद भी ठंडा खाना खाते हैं।
जर्मनी में होता है ऑल सेंट्स डे
ये पर्व हर साल 1 नवंबर को मनाया जाता है। जर्मनी में अलग-अलग धार्मिक समूहों में नवंबर महीने का पहला दिन शोक मनाने के लिए तय है। इन ठंडे दिनों में लोग अपने पूर्वजों की शांति के लिए मोमबत्तियां जलाते हैं और खाना खाने से पहले उनकी तृप्ति के लिए प्रार्थना करते हैं।
सिंगापुर, मलेशिया, थाईलैंड और श्रीलंका में हंगरी घोस्ट फेस्टिवल
ये उत्सव अगस्त में मनाया जाता है। यह बौद्ध और टोइस्टि धर्म में प्रचलन में है। इस फेस्टिवल का आयोजन चीन के लुनिसोलर कैलेंडर के 7वें महीने के 15वीं रात को होता है। माना जाता है कि इस दिन आकाश से पूर्वजों की आत्माएं पृथ्वी पर भोजन करने आती हैं।
दक्षिण कोरिया में चुसेओक
ये उत्सव अच्छी फसल के लिए मृतकों को धन्यवाद देने के लिए मनाया जाता है। ये तीन दिन तक चलता है। इसमें लोग सुबह जल्दी उठकर ताजे कटे हुए चावल की डिश बनाते हैं और इसे पुरखों की कब्र पर रखते हैं।
नेपाल में गायजात्रा
इसे गाय का त्योहार भी कहा जाता है। ये पर्व अगस्त और सितंबर में मनाते हैं। इस उत्सव के दौरान गायों का झुंड शहर के बीच से निकलता है और उनके साथ वे लोग भी होते हैं, जिन्होंने पिछले साल अपने परिजनों को खोया है। गाय को पवित्र माना जाता है। मान्यता है कि इससे मृतकों को शांति मिलेगी।
फ्रांस में ला टेसेंट
यह पर्व 1 नवंबर को मनाया जाता है। इस दिन लोग अपने पूर्वजों को याद करते हैं। उनकी कब्रों को साफ करते हैं। कब्रों पर ताजे फूल और गुलदस्ते अर्पित करते हैं। मृतकों की संतुष्टि के लिए मोमबत्तियां जलाई जाती हैं।
जापान में बॉन फेस्टिबल
ये उत्सव अगस्त के अंतिम 15 दिनों में मनाते हैं। इन दिनों में लोग अपने पूर्वजों के गांव जाते हैं और उनकी कब्रों पर फूल चढ़ाते हैं। इस त्योहार में कई पकवान भी बनाए जाते हैं और पारंपरिक नाच-गाना भी होता है।
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