Som Pradosh 2022: हिंदू धर्म में भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कई व्रत-उपवास किए जाते हैं। प्रदोष व्रत (Som Pradosh 2022) भी इनमें से एक है। ये व्रत जब सोमवार को आता है तो इसका महत्व और भी बढ़ जाता है।
उज्जैन. इस बार 25 जुलाई को सोम प्रदोष का योग बन रहा है। खास बात ये है कि कि ये शुभ योग भगवान शिव के प्रिय मास श्रावण में बन रहा है, जिसके चलते इसका महत्व और भी बढ़ गया है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रवीण द्विवेदी के अनुसार, ऐसा दुर्लभ संयोग बहुत कम बनता है जब श्रावण मास में सोम प्रदोष आता है। इस दिन और भी कई शुभ योग बन रहे हैं। आगे जानिए सोम प्रदोष व्रत की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त व बनने वाले शुभ योगों के बारे में…
सोम प्रदोष पर बनेंगे ये शुभ योग (Som Pradosh 2022 Durlabh Yog)
25 जुलाई, सोमवार को सोम प्रदोष पर ग्रहों के चलते कई शुभ योग बन रहे हैं। इस समय बुध और सूर्य दोनों ग्रह कर्क राशि में है, जिसके चलते बुधादित्य नाम का राजयोग बन रहा है। साथ ही इस दिन शश, हंस, सर्वार्थ सिद्धि और अमृत सिद्धि नाम के 4 अन्य योग भी बन रहे हैं। इतने सारे शुभ योग एक साथ होने से इस व्रत का महत्व और भी बढ़ गया है।
इस विधि से करें पूजा (Som Pradosh Puja Vidhi 2022)
सोमवार को सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद व्रत-पूजा का संकल्प लें। इसके बाद शिव मंदिर में जाकर या घर पर ही भगवान शिव की पूजा विधि-विधान से करें। सबसे पहले दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल मिलाकर शिवलिंग का अभिषेक करें। इसके बाद साफ पानी से पुन: अभिषेक करें। शिवजी को बिल्व पत्र, धतूरा, आंकड़ा आदि चीजें चढ़ाएं। अंत में भोग लगाकर शिवजी की आरती करें। सोम प्रदोष पर इस विधि से पूजा करने से हर तरह की परेशानियां दूर हो सकती हैं।
सोम प्रदोष व्रत कथा
- पौराणिक कथाओं के अनुसार, किसी शहर में एक विधवा महिला रहती थी। वो भिक्षा मांगकर अपना गुजारा करती थी। एक दिन उसे रास्ते में एक युवक घायल अवस्था में मिला।
- महिला उसे अपने साथ ले आई। युवक ने बताया कि वो विदर्भ देश का राजकुमार है। शत्रुओं के कारण उसकी यह स्थिति हुई है। एक दिन गंधर्व कन्या अंगुमति ने राजकुमार को देखा तो वह उस पर मोहित हो गई।
- उसने ये बात अपने पिता को बताई। उसी रात शिवजी ने राजा को सपने में आकर आदेश दिया कि अपनी पुत्री का विवाह उस युवक से कर दो। राजा ने शिवजी के आदेश पर ऐसा ही किया।
- वह विधवा महिला प्रदोष व्रत करती थी, जिसके प्रभाव से राजकुमार ने पुन: अपना राज्य प्राप्त कर लिया और उसके पुत्र को अपना महामंत्री बना लिया। इस तरह सभी के दुख दूर हो गए।
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