एक राक्षस के नाम पर है इस प्रसिद्ध तीर्थ का नाम, यहां दूर-दूर से अपने पितरों का श्राद्ध करने आते हैं लोग

बिहार के गया को सबसे बड़ा पितृ तीर्थ माना जाता है। श्राद्ध पक्ष के दौरान यहां लाखों लोग अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान करने आते हैं।

उज्जैन. गया बिहार की सीमा से लगा फल्गु नदी के तट पर स्थित है। मान्यता है कि यहां फल्गु नदी के तट पर पिंडदान करने से मृतात्मा को बैकुंठ की प्राप्ति होती है। इसलिए गया को श्राद्ध, पिंडदान व तर्पण के लिए सर्वश्रेष्ठ स्थान माना गया है।

प्रसिद्ध है गया का विष्णुपद मंदिर
फल्गु नदी के पश्चिमी किनारे पर स्थित विष्णुपद मंदिर पर्यटकों के बीच काफी लोकप्रिय है। कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण भगवान विष्णु के पदचिन्हों पर किया गया है। यह मंदिर 30 मीटर ऊंचा है जिसमें आठ खंभे हैं। इन खंभों पर चांदी की परतें चढ़ाई हुई
है। मंदिर के गर्भगृह में भगवान विष्णु के 40 सेंटीमीटर लंबे पांव के निशान हैं। सन 1787 में इंदौर की महारानी अहिल्या बाई ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था।

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गया नाम के असुर के नाम पर पड़ा इस शहर का नाम
धर्म ग्रंथों के अनुसार, प्राचीन काल में गयासुर नामक एक शक्तिशाली असुर था। उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उसे देवी-देवताओं से भी अधिक पवित्र होने का वरदान दे दिया। इस वरदान के कारण घोर पापी भी गयासुर को देख या छू लेने से स्वर्ग
जाने लगे। तब देवताओं ने छलपूर्वक एक यज्ञ के नाम पर गयासुर का संपूर्ण शरीर मांग लिया। गयासुर अपना शरीर देने के लिए उत्तर की तरफ पांव और दक्षिण की ओर मुख करके लेट गया। मान्यता है कि उसका शरीर पांच कोस में फैला हुआ था। इसलिए उस पांच कोस के भूखण्ड का नाम गया पड़ गया। गयासुर के पुण्य प्रभाव से ही वह स्थान तीर्थ के रूप में स्थापित हो गया।

कैसे पहुचें-
हवाई मार्ग: गया में अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डा है, जो सभी प्रमुख हवाई अड्डों से जुड़ा है।
रेल मार्ग: गया जंक्शन बिहार का दूसरा बड़ा रेलवे स्टेशन है। गया से पटना, कोलकाता, पुरी, बनारस, चेन्नई, मुम्बई, नई दिल्ली, नागपुर, गुवाहाटी आदि के लिए सीधी ट्रेनें है।
सड़क मार्ग: गया राजधानी पटना और राजगीर, रांची, बनारस आदि के लिए बसें जाती हैं। गया में दो बस स्टैंड हैं। दोनों स्टैंड फल्गु नदी के तट पर स्थित है।

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