16वीं सदी के सर्वश्रेष्ठ कवि थे Goswami Tulsidas, एक घटना ने बदल दिया था उनका जीवन

सावन (Sawan 2021) मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को गोस्वामी तुलसीदास की जयंती मनाई जाती है। इस बार ये तिथि 15 अगस्त, रविवार को है। गोस्वामी तुलसीदास (Goswami Tulsidas) ने रामचरित मानस (Shri Ramcharit Manas) में मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के जीवन का काव्य रूप में वर्णन किया है।

Asianet News Hindi | Published : Aug 14, 2021 4:15 AM IST / Updated: Aug 14 2021, 10:02 AM IST

उज्जैन. गोस्वामी तुलसीदास ने हनुमान चालीसा, कवितावली, गीतावली, विनयपत्रिका, जानकी मंगल सहित कुल 12 ग्रंथों की रचना की है। उन्होंने अपनी रचनाओं को आम जन तक पहुंचाने के लिए अवधी भाषा का प्रयोग किया है। भगवान श्रीराम सनातन धर्म में सर्वाधिक पूजे जाने वाले देवता हैं। वैसे तो भगवान श्रीराम के जीवन चरित्र पर अनेक धर्म ग्रंथों की रचना की गई है, लेकिन इन सभी में गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित श्रीरामचरित मानस का विशेष स्थान है। इस बार 15 अगस्त, रविवार को गोस्वामी तुलसीदास जी की जयंती है।  

बाल्यावस्था में सहना पड़ा था कष्ट
1554 में जन्मे तुलसीदास 16वीं सदी के सर्वश्रेष्ठ कवियों में से एक हैं। उनका जन्म उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के छोटे से गांव राजापुर में आत्माराम दुबे और हुलसी के घर हुआ था। तुलसीदास (Goswami Tulsidas) का बचपन भी बेहद अभावों में बीता था। माता की मृत्यु हो जाने पर उन्हें अमंगल मान कर उनके पिता ने त्याग दिया था। इसलिए इनकी बाल्यावस्था बहुत कष्टों में गुजरी।

जब पत्नी की कड़वी बात ने बदल दी तुलसी का जीवन
तुलसी दास जी (Goswami Tulsidas) का विवाह रत्नावली से हुआ था। वे अपनी पत्नी से अत्यधिक प्रेम करते थे। एक बार उनकी पत्नी मायके गई हुई थी। रात में मूसलाधार बारिश में तुलसी दास जी पत्नी से मिलने उनके मायके जा पहुंचे। इस बात से नाराज होकर उनकी पत्नी ने ताना मारते हुए कहा कि-
हाड़ मांस को देह मम, तापर जितनी प्रीति।
तिसु आधो जो राम प्रति, अवसि मिटिहि भवभीति।।

अर्थात्: तुम्हें जितना प्रेम मेरे हाड़ मांस के इस शरीर से है अगर इसका आधा प्रेम प्रभु श्री राम से किया होता तो भवसागर पार हो गए होते। पत्नी की इस बात ने तुलसी दास के जीवन की दिशा ही बदल दी। और वे राम की भक्ति में रम गए।

स्वामी नरहरिदास जी ने किया मार्ग दर्शन
एक दिन स्वामी नरहरिदास उनके गांव आए। उन्होंने ही तुलसीदासजी को आगे के जीवन का मार्गदर्शन किया। कवि तुलसी (Goswami Tulsidas) ने रामकथा को आदर्श जीवन का मार्ग दिखाने का माध्यम बना लिया। उन्होंने रामकथा में न केवल राम की भक्ति के बारे में लिखा बल्कि एक सुखद समाज की कल्पना करने के साथ ही लोगों को आदर्श जीवन जीने का मार्ग भी दिखाया।
 

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