वैशाख मास (Vaishakh month 2022) के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को भगवान नृसिंह का प्रकटोत्सव (Narasimha Chaturdashi 2022) मनाया जाता है। इस बार ये तिथि 14 मई, शनिवार को है।
उज्जैन. अपने भक्त प्रह्लाद की रक्षा और दैत्यों के राजा हिरण्यकशिपु (Hiranyakashipu) का वध करने के लिए भगवान विष्णु ने ये अवतार लिया था। इस अवतार में उनका शरीर आधे मानव और आधे शेर का था। भगवान विष्णु ने नृसिंह अवतार लेकर हिरण्यकशिपु का वध किया, ये कथा तो सभी जानते हैं, लेकिन इसके बाद क्या हुआ, इसका वर्णन शिव पुराण में मिलता है। उसके अनुसार, जब भगवान विष्णु के नृसिंह अवतार का क्रोध शांत नहीं हुआ शिव ने एक खास अवतार लेकर उनका क्रोध शांत किया। भगवान शिव के इस अवतार का शरभ अवतार कहा जाता है। नृसिंह जयंती (Narasimha Jayanti 2022) के मौके पर जानिए क्या है ये पूरी कथा…
भगवान शिव को क्यों लेना पड़ा शरभ अवतार?
- शिव पुराण के अनुसार, भगवान विष्णु ने नृसिंह अवतार लेकर दैत्यों के राजा हिरण्यकशिपु का वध कर दिया, लेकिन इसके बाद भी उनका क्रोध शांत नहीं हुआ। ये देखकर दैत्यों सहित देवता आदि भी डरने लगे। भगवान नृसिंह का क्रोध और भी उग्र होता देख सभी देवता भगवान शिव के पास गए और अपनी समस्या बताई। तब भगवान शिव ने शरभ के रूप में अवतार लिया।
- इस अवतार में भगवान शिव आधे हिरण और आधे शरभ पक्षी के रूप में प्रकट हुए। यह ब्रह्मांड का सबसे शक्तिशाली प्राणी था। इसका वर्णन पौराणिक ग्रंथों में मिलता है। इस अवतार में उनके दो गरुड़ पंख, भयानक शेर के पंजे व चोंच, वीरभद्र की सहस्त्र भुजाएं, शीश पर जटा तथा चंद्रमा स्थित थे।
- शरभ आठ पैर वाला एक पशु था, जो कि शेर से भी ज्यादा शक्तिशाली था। शरभ रूपी भगवान शिव ने नृसिंह भगवान को शांत करने के लिए प्रार्थना की थी, लेकिन वे शांत नहीं हुए। तब दोनों देवताओं के अवतारों में भीष्ण युद्ध होने लगा। अंत में भगवान शरभ ने अपनी पूंछ में नृसिंह जी को लपेटा और उड़ गए। इसके बाद नृसिंह जी शांत हुए और उन्होंने शरभावतार से क्षमा मांगी। इस तरह ये युद्ध समाप्त हुआ और दोनों देवताओं के अवतार शांत हुए।
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