कहानी ब्रह्मास्त्र की…: सबसे विनाशकारी अस्त्र, जानिए ब्रह्मा जी को क्यों करना पड़ा इसका निर्माण?

हाल ही में बॉलीवुड की फिक्शनल फिल्म ब्रह्मास्त्र का ट्रेलर (Brahmastra Movie Trailer) रिलीज हुआ है। इस फिल्म में रणबीर कपूर (Ranbir Kapoor), आलिया भट्ट (Alia Bhatt), नागार्जुन (Nagarjuna), अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) लीड रोल में है। ये एक फैंटेसी एंडवेंचर फिल्म है, जो 9 सितंबर को रिलीज होगी।

उज्जैन. ब्रह्मास्त्र मूवी पुरातन समय की दिव्य शक्तियों और दिव्य अस्त्रों पर आधारित बताई जा रही है। इन दिव्य अस्त्रों के बारे में कई धर्म ग्रंथों और पुराणों में बताया गया है। इन सभी दिव्यास्त्रों में सबसे शक्तिशाली ब्रह्मास्त्र को माना गया है। इतिहास के जानकार बताते हैं कि पुराणों में जिस ब्रह्मास्त्र के बारे में बताया जाता है, उसमें कई परमाणु बम के बराबर की शक्ति होती थी। इस अस्त्र को प्राप्त करने के लिए कठिन तपस्या कर परमपिता ब्रह्मा को प्रसन्न करना पड़ता था। इसलिए बहुत कम योद्धाओं के पास ये अस्त्र हुआ करता था। Asianetnews Hindi ब्रह्मास्त्र पर एक सीरीज चला रहा है, कहानी ब्रह्मास्त्र की…जिसमें हम आपको ब्रह्मास्त्र से जुड़ी खास बातें, प्रसंग व अन्य रोचक तथ्यों के बारे में बताएंगे। आगे जानिए ब्रह्मदेव ने क्यों किया इस विनाशकारी अस्त्र का निर्माण…

क्या है ब्रह्मास्त्र, परमपिता ब्रह्मा ने क्यों की इसकी रचना? (what is brahmastra)
अपने बचपन से ही हम किस्से-कहानियों और धार्मिक टीवी सीरियलों में ब्रह्मास्त्र का नाम सुनते आ रहे हैं। इसे पुरातन काल का सबसे शक्तिशाली परमाणु बम कहा जाए तो गलत नहीं होगा। ब्रह्मास्त्र का मतलब है ब्रह्म का अस्त्र। परमपिता ब्रह्मा, जिन्होंने इस सृष्टि का निर्माण किया, उन्हीं ने इस अस्त्र को भी बनाया। प्राचीन कथाओं के अनुसार, दैत्यों ने जब देवताओं को हराकर स्वर्ग पर अधिकार कर लिया तब ब्रह्माजी ने धर्म की रक्षा के लिए इस विनाशकारी अस्त्र का आविष्कार किया। हालांकि देवताओं ने इस अस्त्र का प्रयोग कब और कहां किया, इसका वर्णन नहीं मिलता है।

देवताओं से मनुष्यों के पास कैसे आया ये शस्त्र?
पौराणिक कथाओं के अनुसार, प्राचीन समय किसी भी दिव्यास्त्र को पाने के लिए देवताओं को प्रसन्न किया जाता था, इसके लिए कठिन तपस्या करनी पड़ती थी। उस समय अनेक देवताओं और दैत्यों ने कठिन तपस्या कर ब्रह्मदेव से इस अस्त्र को प्राप्त किया। बाद में देवताओं से ये अस्त्र गंधर्वों के पास गया और फिर मनुष्यों के पास भी आ गया। ऐसा माना जाता है कि ब्रह्मास्त्र का सबसे पहला प्रयोग राजा विश्वामित्र ने महर्षि वशिष्ठ पर किया था, लेकिन अपनी ब्रह्मतेज के बल पर महर्षि वशिष्ठ बच गए और संसार का विनाश भी नहीं हुआ। 

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कितना विनाशक था ये हथियार?
इस अस्त्र को शास्त्रों में सबसे विनाशक कहा गया है। रामायण औऱ महाभारत काल में इस अस्त्र का वर्णन मिलता है जिसमें हमें इसकी मारक क्षमता का पता चलता है। एक बार इसके चलने पर दुश्मन की सेना के साथ ही बड़े भाग का भी नाश हो जाता था। शास्त्रों में कहा जाता है कि यदि दो ब्रह्मास्त्र आपस में टकराते हैं तो तब समझना चाहिए कि प्रलय ही होने वाली है। इससे समस्त पृथ्वी का विनाश हो सका था। महाभारत में सौप्तिक पर्व के अध्याय 13 से 15 तक ब्रह्मास्त्र चलने के बाद होने वाले विनाशकारी परिणामों के बारे में विस्तार पूर्वक बताया गया है।

लक्ष्य का विनाश कर ही लौटता था ये अस्त्र
धर्म ग्रंथों के अनुसार, ब्रह्मास्त्र अचूक अस्त्र था यानी यह जिस भी लक्ष्य पर छोड़ा जायेगा वह पूरी तरह उसे नष्ट कर देता था। इसे प्रभाव से भयंकर आग लग जाती है व विभिन्न प्रकार के हानिकारक रसायन फैल जाते है। इसके प्रभाव से उस स्थान पर कोई भी जीव जंतु, पेड़ पौधे कुछ नहीं बचता था। कई सालों तक उस स्थान पर फिर से जीवन का उदय नहीं हो पाता था। पृथ्वी में दरारे पड़ जाती थी और सालों तक बारिश भी नहीं होती थी।

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