brahmotsavams at kanipakam: हिंदू धर्म में साल में कई बार ऐसे व्रत-त्योहार आते हैं जब भगवान श्रीगणेश की पूजा विशेष रूप से की जाती है। ऐसा ही एक त्योहार गणेश चतुर्थी। ये पर्व भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। इस बार गणेश चतुर्थी 31 अगस्त, बुधवार को है।
उज्जैन. भारत को मंदिरों का देश कहा जाता है। यहां सभी देवी-देवताओं का लाखों-करोड़ों मंदिर हैं। इनमें से कुछ मंदिर बहुत चमत्कारी भी हैं, जिनके कोई न कोई मान्यता और परंपरा जुड़ी हुई है। ऐसा ही मंदिर है चित्तूर का विघ्नहर्ता कनिपक्कम गणपति मंदिर (Kanipakkam Ganapathi Temple)। कुछ बातें इस मंदिर को बहुत ही खास बनाती हैं। गणेश चतुर्थी (31 अगस्त, बुधवार) के मौके पर हम आपको इस मंदिर के बारे में बता रहे हैं।
बहुत रोचक है इस मंदिर की कथा
मान्यताओं के अनुसार, किसी समय यहां तीन भाई रहते थे। उनमें से एक गूंगा, दूसरा बहरा और तीसरा अंधा था। तीनों मिलकर जब यहां कुआ खोद रहे थे तो उन्हें एक पत्थर दिखाई दिया। पत्थर हटाने पर वहां से खून की धारा निकलने लगी और देखते ही देखते कुए का पानी लाल हो गया। ऐसा होते ही तीनों भाई जो गूंगे, बहरे और अंधे थे, अचानक ठीक हो गए। ये चमत्कार देखने के लिए सभी लोग इकट्ठा हो गए। जब उन्होंने उस पत्थर को गौर से देखा तो उसमें गणेशजी की प्रतिमा दिखाई दी। जिसे उसी स्थान पर विधि-विधान पूर्वक स्थापित कर दिया गया। मंदिर का विस्तार 1336 में विजयनगर साम्राज्य में किया गया।
मनाया जाता है ब्रह्मोत्सव (brahmotsavams at kanipakam)
कनिपक्कम मंदिर में गणेश चतुर्थी से ब्रह्मोत्सव शुरू होता है, जो 20 दिन तक चलता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार एक बार ब्रह्मदेव पृथ्वी पर आए थे और वे 20 दिन तक इसी स्थान पर रूके थे। इसी मान्यता के चलते इस मंदिर में 20 दिन का ब्रह्मोत्सव मनाया जाता है। इस दौरान यहां भव्य रथ यात्रा भी निकाली जाती है।
एक मान्यता ये भी
इस गणेश प्रतिमा से जुड़ी सबसे खास बात ये है कि इसका आकार लगातार बढ़ता जा रहा है। हालांकि ये सिर्फ एक दावा है जो यहां के स्थानीय लोग करते हैं। उनका कहना है कि गणेशजी की मूर्ति का पेट और घुटना धीरे-धीरे बड़ा आकार लेता जा रहा है। ऐसा भी कहा जाता है एक भक्त श्री लक्ष्माम्मा ने गणेशजी के लिए एक कवच भेंट किया था, लेकिन आकार बढ़ने से अब वो भी पहनाना मुश्किल हो गया है।
दर्शन करने से खत्म हो जाते हैं पाप
इस मंदिर से जुड़ी एक मान्यता और भी है, वो ये है कि यहां आकर जो भी व्यक्ति श्रीगणेश के दर्शन करता है, उसके सभी पान नष्ट हो जाते हैं, लेकिन इसके लिए उसे पहले अपने पाप कर्मों की क्षमा मांगनी होगी। साथ ही समीप स्थित नदी में स्नान कर ये संकल्प लेना होगा कि वह फिर कभी कोई पाप नहीं करेगा। इसके बाद गणेशजी के दर्शन करने से सारे पाप दूर हो जाते हैं।
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