कहते हैं महिलाओं के पेट में कोई भी गुप्त बात अधिक समय तक नहीं टिक सकती। महिलाएं जाने-अनजाने में वह बात किसी न किसी को बता ही देती हैं। इस तथ्य से जुड़ा एक प्रसंग महर्षि वेदव्यास द्वारा लिखी गई महाभारत में भी मिलता है।
उज्जैन. महिलाएं जाने-अनजाने में वह बात किसी न किसी को बता ही देती हैं। इस तथ्य से जुड़ा एक प्रसंग महर्षि वेदव्यास द्वारा लिखी गई महाभारत में भी मिलता है। उसके अनुसार, महाराज युधिष्ठिर ने ही नारी जाति को यह श्राप दिया था कि संसार की समस्त स्त्रियां कोई भी गुप्त बात छिपा कर नहीं रख सकेंगी। युधिष्ठिर ने स्त्री जाति को ये श्राप क्यों दिया जानिए…
युधिष्ठिर का स्त्री जाति को श्राप
- महाभारत के शांति पर्व के अनुसार, युद्ध समाप्त होने के बाद पांडव धृतराष्ट्र, गांधारी और अपनी माता कुंती से मिले।
- तब धृतराष्ट्र के कहने पर पांडवों ने युद्ध में मारे गए अपने परिवारजनों का श्राद्ध व तर्पण आदि कार्य किए ।
- जब पांडव यह कार्य कर रहे थे, तब कुंती ने युधिष्ठिर को बताया कि कर्ण तुम्हारा बड़ा भाई था तो यह जानकर पांडवों को बहुत दुख हुआ।
- तब युधिष्ठिर ने विधि-विधान पूर्वक कर्ण का भी अंतिम संस्कार किया। कर्ण की मृत्यु से युधिष्ठिर शोक में डूब गए।
- माता कुंती ने जब पांडवों को कर्ण के जन्म का रहस्य बताया तो शोक में आकर युधिष्ठिर ने संपूर्ण स्त्री जाति को श्राप दिया कि- आज से कोई भी स्त्री गुप्त बात छिपा कर नहीं रख सकेगी।
- तभी से ये मान्यता है कि महिलाओं के सामने कभी कोई गुप्त बात नहीं कहनी चाहिए, क्योंकि जाने-अनजाने में महिलाएं ये बातें किसी-न-किसी को बता देती हैं।