शनिदेव की पूजा में कैसे बर्तनों का उपयोग करना चाहिए? जानिए ऐसी ही 5 अन्य खास बातें

इस बार 22 मई, शुक्रवार को शनि जयंती है। इस दिन शनिदेव की पूजा मुख्य रूप से की जाती है।

उज्जैन. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शनिदेव ही मनुष्यों को उनके अच्छे-बुरे कर्मों का फल प्रदान करते हैं, इसलिए उन्हें न्यायाधीश भी कहा जाता है।  उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार, शनिदेव का अशुभ असर कम करने के लिए पूजा व उपाय किए जाते हैं। शनिदेव की पूजा करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। आज हम आपको वही बातें बता रहे हैं, जो इस प्रकार है…

1. शनिदेव की पूजा में तांबे के बर्तनों का उपयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि तांबा सूर्य की धातु है और ज्योतिष शास्त्र में शनि-सूर्य एक-दूसरे के शत्रु हैं। शनिदेव की पूजा में हमेशा लोहे के बर्तनों का ही उपयोग करना चाहिए।
2. लाल कपड़े, लाल फल या लाल फूल शनिदेव को नहीं चढ़ाएं क्योंकि लाल रंग मंगल का है। ये भी शनि का शत्रु ग्रह है। शनिदेव की पूजा में काले या नीले रंग की चीजों का उपयोग करना शुभ रहता है।
3. शनिदेव को पश्चिम दिशा का स्वामी माना गया है, इसलिए पूजा करते समय या शनि मंत्रों का जाप करते समय मुख इसी दिशा में रखें तो जल्दी ही शुभ फल मिल सकते हैं।
4. शनिदेव की प्रतिमा के ठीक सामने खड़े होकर दर्शन नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से शनि की दृष्टि सीधे आप पर पढ़ने से आपकी मुसीबतें बढ़ सकती हैं।
5. अस्वच्छ अवस्था में कभी-भी शनिदेव की पूजा नहीं करनी चाहिए। अस्वच्छ अवस्था यानी बिना नहाएं, झूठे मुंह या गंदे कपड़े पहनकर।
6. संभव हो तो शनिदेव को काले तिल और उड़द की खिचड़ी का भोग लगाएं। ये दोनों ही चीजें शनिदेव को विशेष रूप से प्रिय है। इससे शनिदेव प्रसन्न होते हैं।
 

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