आसन पर बैठकर ही क्यों करना चाहिए पूजा-पाठ या मंत्र जाप, क्या है इस परंपरा के पीछे छिपा साइंस कनेक्शन?

पूजा-पाठ या मंत्र जाप आसन पर बैठकर ही किए जाने चाहिए। ऐसा हमारे धर्म ग्रंथों में लिखा है। आसन कई चीजों से बने होते हैं, लेकिन पूजा-पाठ और मंत्र जाप आदि में एक विशेष तरह के आसन का उपयोग किया जाता है।

उज्जैन. ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार, इसका परंपरा का कारण सिर्फ धार्मिक ही नहीं बल्कि वैज्ञानिक भी है।  आगे जानिए पूजा-पाठ और मंत्र जाप करते क्यों खास तरह के आसन का उपयोग किया जाता है…

- जिस तरह बादलों में विद्युत ऊर्जा होती है, उसी तरह पृथ्वी में भी होती है। जब कोई व्यक्ति पूजा-पाठ या मंत्र जाप करता है तो इससे एनर्जी उत्पन्न होती है।
- अगर बिना आसन बिछाए कोई व्यक्ति पूजा-पाठ या मंत्र जाप करता है तो उससे प्राप्त एनर्जी शरीर के संपर्क से सीधे धरती में समा होती है।
- ऐसा होने से उस व्यक्ति को मंत्र जाप आदि की एनर्जी नहीं मिल पाती और उसकी सारी मेहनत बेकार हो जाती है।
- इसके विपरीत, आसन शरीर व धरती के बीच का सीधा संपर्क तोड़ देता है और पूजा से उत्पन्न हुई एनर्जी को पृथ्वी में जाने से रोक लेते है।
- जैसे बारिश में बादलों के टकराने से गिरने वाली बिजली की पूरी ऊर्जा धातु की किसी छड़ के जरिए बड़ी आसानी से पृथ्वी के अंदर चली जाती है। इससे पता चलता है कि पृथ्वी ऊर्जा को किस तरह अपने भीतर समाहित कर लेती है।
- पूजा-पाठ और मंत्र जाप आदि में मुख्य तौर पर ऐसी चीज से बना आसन उपयोग किया जाता है, जो ऊर्जा की कुचालक हो जैसे- लकड़ी या कुशा (एक प्रकार की घास)। 
 

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