
Automobile Desk: ऑटोमोबाइल बाजार में ग्राहकों के बीच ऑटोमैटिक कारों की मांग वर्तमान में काफी ज्यादा बढ़ चुकी है। रोजाना झंझट से बचने के लिए लोग इस सिस्टम की कार को खरीदना बेस्ट समझ रहे हैं। अगर आपके दिमाग में भी ऑटोमेटिक फोर व्हीलर खरीदने का विचार आ रहा है, तो उससे पहले फायदे और नुकसान के बारे में जान लेना बेहद आवश्यक है। चलिए हम आज आपको बताते हैं, कि इसका नेगेटिव और पॉजिटिव रिस्पॉन्स कैसा है।
आसान होती है ड्राइविंग: वर्तमान में लॉन्च होने वाली ऑटोमेटिक गाड़ियों में क्लच और गियर का झंझट नहीं होता है। इसमें आप केवल ब्रेक और एक्सीलरेटर से काम चला सकते हैं। भारी जाम वाली स्थिति में ऑटोमैटिक गाड़ियों को आसानी से मैनेज किया जा सकता है।
गाड़ी सीखने के लिए बेस्ट: अगर आपको फोर व्हीलर कर सीखनी है, तो उसके लिए ऑटोमेटिक गाड़ियों को चुना सही ऑप्शन हो सकता है। मैन्युअल गाड़ियों के मुकाबले इसमें ज्यादा ध्यान इधर-उधर नहीं देना पड़ता है। ऐसे में आपके पास गाड़ी चलाने पर फोकस करेंगे।
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ज्यादा थकान नहीं: कई बार भारी ट्रैफिक और शहरों में गाड़ी को चलाना मैनुअल आसान नहीं होता है, क्योंकि उसमें गियर और क्लच बार-बार मैनेज करना पड़ता है। लेकिन, ऑटोमैटिक कारों में यह दोनों समस्या नहीं आती है। इस स्थिति में कम थकान होता है।
माइलेज की समस्या: मैनुअल कारों की तुलना में ऑटोमैटिक गाड़ियों को ड्राइव करने में ज्यादा फ्यूल खर्च होता है। हालांकि, अब इस समस्या को कंपनियों ने कम किया है, जबकि पहले यह ज्यादा थी। मैनुअल कार में माइलेज थोड़ा कम होता है।
प्राइस ज्यादा: ऑटोमैटिक कर को खरीदने के लिए आपको कुछ रुपए ज्यादा खर्च करने पड़ेंगे। यदि आप किसी कंपनी की कार खरीदने जा रहे हैं, तो उसके मैन्युअल वर्जन को छोड़कर ऑटोमैटिक लेने पर 1 लाख रुपए तक एक्स्ट्रा देना पड़ सकता है।
मेंटेनेंस महंगा: ऑटोमैटिक सिस्टम वाली 4 व्हीलर कार को मेंटेनेंस करना महंगा पड़ता है। ऑटो ट्रांसमिशन की सर्विसिंग और रिपेयर प्राइस मैन्युअल के मुकाबले ज्यादा होती है। यदि आप अलग से खर्चे कर सकते हैं, यह आपके ऊपर निर्भर करता है।
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