कार खरीदते समय सिर्फ़ लुक, माइलेज और कीमत ही नहीं, उसकी सेफ्टी रेटिंग भी देखें। क्रैश टेस्ट से मिलने वाली रेटिंग से पता चलता है कि आपकी कार कितनी मजबूत है।
ऑटो डेस्क : क्या आप जानते हैं कि आपकी नई कार कितनी मजबूत और कितनी सेफ है? दरअसल, हम और जब भी कार खरीदने जाते हैं तो उसका लुक, माइलेज और कीमत देखते हैं, लेकिन इन सबसे भी ज्यादा जरूरी होता है उसकी सेफ्टी रेटिंग। कार के सेफ्टी फीचर्स (Car Safety Features) से ही पता चलता है कि वो कितनी मजबूत और कितनी सेफ है। किसी कार की सेफ्टी रेटिंग के लिए क्रैश टेस्ट होते हैं। ग्लोबल न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम (GNCAP) कारों की सेफ्टी रेटिंग चेक करती है। इसके लिए कारों को कई तरह के टेस्ट से गुजरना पड़ता है। इन्हीं के आधार पर पर कार कितनी सेफ है, इसका पता चलता है। भारत में कार क्रैश टेस्ट Bharat NCAP की तरफ से किया जाता है।
कार की सेफ्टी के लिए कौन-कौन से टेस्ट
कार का क्रैश टेस्ट कैसे होता है
कार का क्रैश टेस्ट करने के लिए उसमें इंसान के डमी के चेहरे, घुटने,सिर और अलग-अलग हिस्से में रंग लगाकर रखा जाता है। सबसे पहले कार का फ्रंटल इम्पैक्ट टेस्ट होता है, इसमें कार के फ्रंट के हिस्से को 65 किमीटर प्रति घंटे की स्पीड से बैरियर से टकराया जाता है। फिर साइड इम्पैक्ट टेस्ट और बाकी फीचर्स की जांच की जाती है।
कार की सेफ्टी रेटिंग कैसे तय होती है
चाइल्ड ऑक्यूपेंट प्रोटेक्शन (COP), सेफ्टी असिस्ट टेक्नोलॉजी (SAT) और एडल्ट ऑक्यूपेंट प्रोटेक्शन (AOP) के आधार पर देखा जाता है कि कार में बैठने वाले कितने सेफ है। इस हिसाब से उसकी रेटिंग की जाती है, जो 1 से लेकर 5 तक होती है। 5 रेटिंग वाली कार सबसे सुरक्षित और 1 रेटिंग वाली कार सबसे खराब मानी जाती है। 3 रेटिंग को एवरेज कार मानी जाती है।
कौन-कौन से सेफ्टी फीचर्स देखकर कार खरीदनी चाहिए
भारत में 5 स्टार रेटिंग वाली लेटेस्ट कारें
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