कंपनी ने फ्रांस में सरकार ने 5 बिलियन यूरो लोन पर मंजूरी मांगी थी जिसे मना कर दिया गया। इसके बाद कंपनी ने कास्ट कटिंग का फैसला लिया है। छंटनी का सबसे ज्यादा असर फ्रांस में ही रहेगा, मगर रेनो का विस्तार भारत में भी है। यहां भी असर पड़ने की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता।
ऑटो डेस्क। कोरोना वायरस की महामारी का दुनियाभर के कारोबार पर बेहद बुरा असर पड़ा है। लॉकडाउन की वजह से जबरदस्त मंदी के बीच कंपनियों के कारोबार को काफी नुकसान पहुंचा है। नुकसान से उबरने के लिए कंपनियां बड़े पैमाने पर कास्ट कटिंग कर रही हैं। इसके तहत कर्मचारियों की सैलरी कम की जा रही है या उन्हें नौकरी से बाहर किया जा रहा है। अब तक कई दिग्गज कंपनियां ऐसा कर चुकी हैं।
फ्रांस की दिग्गज कार निर्माता रेनो भी बड़े पैमाने पर दुनियाभर से कर्मचारियों की छंटनी कर रही है। रेनो ने अगले तीन साल तक के लिए कास्ट कटिंग का प्लान तैयार कर लिया है। 2 बिलियन डॉलर कास्ट कटिंग प्लान के तहत 15,000 कर्मचारियों की छंटनी की जाएगी। कास्ट कटिंग का सबसे ज्यादा असर फ्रांस में ही रहेगा, मगर रेनो का विस्तार भारत में भी है। ऐसे में यहां भी असर पड़ने की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता। दरअसल, कंपनी ने फ्रांस में सरकार ने 5 बिलियन यूरो लोन पर मंजूरी मांगी थी जिसे मना कर दिया गया। इसके बाद कंपनी ने कास्ट कटिंग का फैसला लिया है।
चन्नई में है कंपनी की यूनिट, 1500 कर्मचारी
भारत में चेन्नई के करीब ओरगादम में कंपनी के 1,500 कर्मचारी काम कर रहे हैं। चेन्नई में रेनो-निशान का संयुक्त प्लांट है जिसकी उत्पादन क्षमता 400,000 यूनिट है। पिछले साल यानी 2019 में भारत में कंपनी के सेल्स बिजनेस में 7.9% की वृद्धि दर्ज की गई थी। कंपनी 2018 में 82,368 के मुकाबले करीब 88,869 यूनिट्स गाड़ियां बेचने में सफल रही थी।
भारत रेनो का बड़ा बाजार
भारतीय मार्केट में डस्टर और शानदार फीचर में बेहद सस्ती कार क्विड के जरिए रेनो की मौजूदगी काफी मजबूत हुई है। कंपनी के लिए भारत दुनिया के टॉप 10 बाज़ारों में से एक है। ग्लोबल मार्केट में कंपनी की हिस्सेदारी 4% है। दुनियाभर के 39 देशों में रेनो के 179,000 कर्मचारी हैं। कोरोना वायरस के बाद कंपनी के सेल्स में जबरदस्त गिरावट दर्ज हुई है।