BSP मैदान में, अखिलेश ने तेजस्वी के पक्ष में RJD को दिया वाकओवर, नहीं लड़ेंगे बिहार विधानसभा चुनाव

पार्टी ने घोषणा में यह भी पूरी तरह से साफ किया कि उसका सपोर्ट सिर्फ और सिर्फ RJD उम्मीदवारों के लिए है न कि महागठबंधन (Mahagathbandhan) के लिए। बिहार में आरजेडी महागठबंधन का अगुआ दल है। 

पटना/लखनऊ।  बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election 2020) के लिए उत्तर प्रदेश में सक्रिय दल भी कमर कस चुके हैं। बसपा (बीएसपी) और हाल ही में चंद्रशेखर आजाद की पार्टी भीम आर्मी (Bhim Army) ने चुनाव में प्रत्याशी उतारे का पहले ही ऐलान कर दिया था। नजरें समाजवादी पार्टी (SP) पर थीं। हालांकि पार्टी ने इस बार राज्य में चुनाव की घोषणा से पहले राष्ट्रीय जनता दल (RJD) को वाकओवर दे दिया है। पार्टी ने साफ कर दिया कि वो चुनाव नहीं लड़ेगी और सिर्फ RJD का सपोर्ट करेगी। 

SP ने ट्विटर के जरिए ये जानकारी साझा की है। पार्टी ने घोषणा में यह भी पूरी तरह से साफ किया कि उसका सपोर्ट सिर्फ और सिर्फ RJD उम्मीदवारों के लिए है न कि महागठबंधन (Mahagathbandhan) के लिए। बिहार में आरजेडी महागठबंधन का अगुआ दल है। मोर्चे में आरजेडी के अलावा कांग्रेस (Congress), RLSP, VIP और वामपंथी पार्टियां शामिल बताई जा रही हैं। यूपी में फिलहाल SP और कांग्रेस आमने-सामने हैं। महागठबंधन के सहयोगी दलों के बीच अभी सीटों की शेयरिंग पर बात नहीं हो पाई है। तेजस्वी यादव (Tejaswi Yadav) के चेहरे को लेकर आरजेडी और महागठबंधन चुनावी मैदान में है। महागठबंधन की सीधी लड़ाई सत्ता में काबिज JDU-BJP-LJP-HAM के NDA से है। 

सैफई जाकर अखिलेश से मिल चुके हैं तेजप्रताप 
वैसे SP द्वारा RJD को सपोर्ट की पहले से ही गुंजाइश थी। कुछ हफ्तों पहले खुद तेजप्रताप यादव (Tejpratap Yadav) सैफई जाकर अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) से मिले थे। तभी से माना जा रहा था कि अखिलेश शायद इस बार RJD और महागठबंधन का सपोर्ट करें। बिहार में SP का बहुत आधार तो नहीं, मगर यूपी के सीमावर्ती इलाकों की कुछ सीटों पर ऐलान का असर दिख सकता है। SP की घोषणा के बाद आरजेडी के पक्ष में यादव मतों का भी विश्वास और बढ़ सकता है। 

अपमान का आरोप लगाकर अलग हो गए थे मुलायम  
पिछली बार 2015 में SP ने सीटों के बंटवारे में अपमान का आरोप लगाते हुए महागठबंधन छोड़ दिया था। तब महागठबंधन में देशभर के BJP विरोधी दलों का बड़ा मोर्चा बनता दिख रहा था। JDU भी NDA छोडकर महागठबंधन में शामिल थी। विपक्ष की एक महारैली में देशभर के दिग्गज नेता जुटे थे। हालांकि यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) ने दूरी बना ली थी। बाद में शरद पवार (Sharad Pawar) की NCP भी लालू के मोर्चे से अलग हो गई थी। बताते चलें कि उस वक्त लालू यादव (Lalu Yadav) ने अपने कोटे से पांच सीट देने का ऐलान किया था, मगर  SP नेता रामगोपाल यादव (Ram Gopal Yadav) ने अपमान का आरोप लगाते हुए अलग चुनाव लड़ने का ऐलान किया था। 2015 का चुनाव SP ने एनसीपी, डेमोक्रेटिक जनता दल के साथ मिलकर लड़ा था। 

यूपी की और कितनी पार्टियां चुनाव में? 
मायावती (Mayawati) की BSP ने पहले ही बिहार में विधानसभा लड़ने की घोषणा कर दी है। प्रदेश अध्यक्ष भरत बिन्द (Bharat Bind) ने पहले ही घोषणा कर दी थी कि पार्टी राज्य की सभी 243 सीटों पर उम्मीदवार उतारेगी। BSP का बिहार के दलित मतों में ठीकठाक आधार है। हालांकि पार्टी दलित मतदाताओं को बहुत प्रभावित करने वाली कंडीशन में नहीं है। दलित मुद्दों पर भीम आर्मी बनाने वाले और मायावती के प्रतिद्वंद्वी करार दिए गए चंद्रशेखर आजाद ने भी भीम आर्मी के चुनाव लड़ने की घोषणा की है। चंद्रशेखर ने कहा था कि उनके पार्टी भी राज्य की सभी सीटों पर उम्मीदवार उतारेगी। देखना दिलचस्प होगा कि यूपी की पार्टियां बिहार में क्या करिश्मा कर पाती हैं।  

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