पहले फेज के चुनाव के बाद बीजेपी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दावा किया कि जिस तरह आज लोग वोट देने के लिए घरों से बाहर निकले वो इस बात का संकेत हैं कि बिहार की जनता स्थायित्व चाहती है।
पटना। बिहार में 71 विधानसभा सीटों पर पहले फेज के चुनाव के बाद बीजेपी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दावा किया कि जिस तरह आज लोग वोट देने के लिए घरों से बाहर निकले वो इस बात का संकेत हैं कि बिहार की जनता स्थायित्व चाहती है। रविशंकर ने दावा किया कि पहले फेज में एनडीए के पक्ष में माहौल साफ दिख रहा है।
केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा- "लोग जिस तरह से वोट देने निकले वो बड़ी बात है। खासतौर से बिहार की महिलाएं। बीजेपी ने वोटिंग परसेंट को उत्साहवर्धक बताते हुए कहा कि ये इस बात का स्नाकेट है कि बिहार की जनता स्थायित्व चाहती है। मतदाता कोरोना की तमाम आशंकाओं को निर्मूल करते हुए बाहर निकले।"
रविशंकर ने कहा- "पीएम मोदी की तीनों सभाओं में कितना उत्साह था आपा सबने देखा है। आज उन्होंने अपने भाषण में सारी बातें स्पष्ट कर दी हैं। वो कितनी ईमानदारी से बिहार के विकास के लिए प्रतिबद्ध हैं। वो कहते हैं - जब तक पूर्वी भारत का विकास नहीं होगा जब तक बिहार का विकास नहीं होगा भारत का विकास नहीं होगा। ये उनकी सोच है।"
एनडीए के पक्ष में जबरदस्त हवा
रविशंकर ने कहा- "एनडीए के पक्ष में बहुत ही जबरदस्त हवा है। मैं जहां भी गया लोगों में साफ उत्साह दिखा। पहले फेज में वोटर्स का उत्साह, पीएम की रैलियों में लोगों का रुख और एनडीए की चट्टानी एकता को लोगों ने देखा। हम लोग बहुत ही निर्णायक बहुमत की ओर जा रहे हैं। बिहार के सामने चुनौती यही है कि बिहार का शासन ऐसे लोगों के हाथ में देना है जो बिहार को बीमारू बनाएं या उसे और आगे लेकर जाएं।"
पीएम मोदी पर राहुल के बयान को लेकर साधा निशाना
रविशंकर प्रसाद ने पंजाब में पीएम मोदी का पुतला जलाने संबंधी राहुल गांधी के बयान पर कहा- "क्या श्रीमान राहुल का यही स्तर हो गया है? पंजाब में उनकी सरकार है। लेकिन पंजाब सहित पूरा देश भारत के पीएम का सम्मान करता है। पूरे बिहार में लोगों ने पीएम की भूरी-भूरी प्रशंसा की है जिस तरह कोरोना के दौर में उन्होंने काम किया। पूरा देश उनका सम्मान करता है।"
राहुल की औकात अब इतनी भी नहीं कि लोग गंभीर मानें
उन्होंने कहा- "ये प्रायोजित रावण वध पर राहुल यहां टिप्पणी कर रहे हैं। अब आहुल का ये स्तर हो गया है। राहुल गांधी की राजनीतिक औकात अब इतनी भी नहीं बची है कि लोग उनको गंभीरता से नहीं लेते हैं। ये बहुत पीड़ा की बात है कि वो अपनी पार्टी के बड़े नेता रहे हैं। ये कोई बोलने का स्तर है क्या। ये इस बात को दिखाता है कि राहुल कितने निराश हैं।"