शरद यादव की MBA डिग्री वाली बेटी सुभाषिनी राज राव को मिली करारी शिकस्त, पहली बार लड़ीं थी चुनाव

मधेपुरा लोकसभा क्षेत्र में एक बार शरद यादव ने राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव को पराजित कर सबको चौंका दिया था। अब उन्हीं लालू यादव की पार्टी राजद के समर्थन से सुभाषिनी कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ी। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी भी सुभाषिनी की जीत के लिए जोर लगाया था।
 

पटना (Bihar) । मधेपुरा के बिहारीगंज (Bijganj ) सीट पर से जदयू के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव (Sharad Yadav) की बेटी सुभाषिनी राज राव (Subhashini Raj Rao) चुनाव हार गई हैं। वो कांग्रेस (Congress) के टिकट पर पहली बार चुनाव लड़ रही थी।  सुभाषिनी के पास एमबीए की डिग्री है। जिनकी उम्र इस समय 30 साल है। उनके पास 7.62 करोड़ रुपए की संपत्ति है। उनकी शादी राजकमल राव के साथ हुई है, जो हरियाणा के राजनीतिक घराने से आते हैं और कांग्रेस परिवार से उनका गहरा रिश्ता है।

राहुल गांधी ने चुनावी रैली में ऐसे शब्दों का किया था प्रयोग
कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने सुभाषिनी को जिताने के लिए पूरी जोर लगा दिया था। उन्होंने अपने चुनावी सभा में यहां तक कह दिया था कि आपको अपनी "बहन" के लिए वोट करना है। मैं आपसे गारंटी चाहता हूं कि आप शरद यादव की बेटी को चुनाव जिताएंगे। मैं अपने लिए नहीं, आपके और शरद यादव के लिए कह रहा हूं, जो आपके नेता हैं। बता दें कि मधेपुरा लोकसभा क्षेत्र का शरद यादव कई बार प्रतिनिधित्व भी कर चुके हैं। ऐसे में शरद यादव की प्रतिष्ठा भी दांव पर थी।

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पिता ने जिसे हराया उसी की पार्टी से चुनाव लड़ी बेटी
मधेपुरा लोकसभा क्षेत्र में एक बार शरद यादव ने राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव को पराजित कर सबको चौंका दिया था। अब उन्हीं लालू यादव की पार्टी राजद के समर्थन से सुभाषिनी कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ी। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी भी सुभाषिनी की जीत के लिए जोर लगाया था।

2017 से चर्चा में आई थी सुभाषिनी
बताते चले कि अगस्त 2017 में पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के कारण शरद यादव को जेडीयू से निकाल दिया गया था। इसी के बाद उन्होंने लोकतांत्रिक जनता दल (एलजेडी) का गठन किया था। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में वे महागठबंधन का हिस्सा थे और मधेपुरा से चुनाव भी लड़े थे। उसी समय सुभाषिणी चर्चा में तब आई थी जब उन्होंने सीएम नीतीश कुमार के खिलाफ बयान दिया था कि वे पूरा बिहार छोड़कर मधेपुरा में डेरा जमाए बैठे हैं। क्योंकि, वह मतलब डरे हुए हैं। हालांकि शरद यादव को हार का सामना करना पड़ा था।

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