कांग्रेस की कोशिश है कि वो 2020 के चुनाव में आरजेडी के बाद महागठबंधन के दूसरे बड़े भाई की भूमिका निभाए। 2015 के चुनाव में जेडीयू (JDU) महागठबंधन का हिस्सा थी। उस वक्त कांग्रेस ने 41 सीटों पर चुनाव लड़कर 27 सीटों को जीता था।
पटना। बिहार में विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election 2020) के लिए चुनाव आयोग कभी भी शेड्यूल का ऐलान कर सकता है। आयोग ने अपनी ओर से तैयारियों को लगभग पूरा कर लिया है। हालांकि अभी तक किसी भी बड़े मोर्चे ने चुनाव में साझेदारी और रणनीतियों का खुलासा नहीं किया है। एनडीए और महागठबंधन (Mahagathbandhan) में सहयोगी दलों के बीच सीटों का बंटवारा पूरी तरह से फाइनल नहीं हो पाया है। महागठबंधन में इस बार सहयोगी दल ज्यादा से ज्यादा सीटों पर दावा ठोंक रहे हैं।
महागठबंधन में आरजेडी (RJD) सबसे बड़ा दल है। ताकत के हिसाब से कांग्रेस (Congress) दूसरा बड़ा दल है। इन दोनों के अलावा उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) की आरएलएसपी (RLSP), मुकेश साहनी (Mukesh Sahani) की वीआईपी (Vip) और वामपंथी पार्टियां भी महागठबंधन का हिस्सा बताई जा रही हैं। हालांकि सहयोगी दलों की ज्यादा से ज्यादा सीटों की मांग की वजह से अंतिम फॉर्मूला तय नहीं हो पाया है। कांग्रेस ज्यादा उत्साहित है। पार्टी चाहती है कि वो 2020 के चुनाव में आरजेडी के बाद महागठबंधन के दूसरे बड़े भाई की भूमिका निभाए। 2015 के चुनाव में जेडीयू (JDU) महागठबंधन का हिस्सा थी। उस वक्त कांग्रेस ने 41 सीटों पर चुनाव लड़कर 27 सीटों को जीता था।
कांग्रेस को 80 सीटें मगर ये शर्त भी
चर्चाओं की मानें तो कांग्रेस इस बार 80 से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ने की योजना में है। पार्टी इस बार उन सभी सीटों में संभावना तलाश रही है जिस पर 2015 में जेडीयू के उम्मीदवार जीते थे या दूसरे नंबर पर थे। पार्टी की कोशिश जेडीयू की सीटों के आधार पर दूसरा बड़ा भाई बनने की है। हालांकि कांग्रेस की मुश्किल यह है कि आरजेडी बिलकुल राजी नहीं है। कांग्रेस को 80 सीटों को देने के लिए तैयार है मगर शर्त यह बताई जा रही है कि कांग्रेस अपने कोटे से ही आरएलएसपी और वामपंथी पार्टियों को सीट दे और डील करे।
गलती दोहराना नहीं चाहती आरजेडी
दरअसल, आरजेडी खुद 2015 की गलती से बचना चाहती है। पार्टी सबसे ज्यादा सीटें अपने पास रखना चाहती है। चर्चा तो यहां तक है कि आरजेडी 150 से ज्यादा सीटों पर लड़ना चाहती है। ताकि बिना उसे शामिल किए बिहार में सत्ता का कोई भी समीकरण न बन पाए। पिछली बार ज्यादा सीटें जीतने के बावजूद ने आरजेडी ने मुख्यमंत्री का पद वादे के मुताबिक नीतीश (Nitish Kumar) को दे दिया था। बाद में मतभेद होने पर नीतीश, आरजेडी छोड़ एनडीए में चले गए। अब आरजेडी इस गलती से बचना चाहती है। 150 सीट खुद के पास रखना फिर 80 सीट कांग्रेस को देने के बाद विधानसभा की 243 में से 13 सीटें बचेंगी। ऐसी स्थिति में महागठबंधन के दूसरे सहयोगी दलों को संतुष्ट करना पूरी तरह से नामुमकीन है। अब ये देखना दिलचस्प होगा कि महागठबंधन किस तरह सीटों के बंटवारे के पेंच से बाहर निकल पाएगा।