एक वोट की कीमत: बिहार की वो सीट जहां कभी एलजेपी के सामने सिर्फ 447 वोट से चुनाव हार गई थी BJP

भभुआ विधानसभा सीट सासाराम लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है। बिहार का ये इलाका यूपी से सटा हुआ है और यहां यूपी के राजनीतिक दलों का प्रभाव भी नजर आता रहा है। 

Asianet News Hindi | Published : Oct 28, 2020 12:42 PM IST / Updated: Oct 28 2020, 06:50 PM IST

भभुआ/पटना। बिहार में विधानसभा (Bihar Polls 2020) हो रहे हैं। इस बार राज्य की 243 विधानसभा सीटों पर 7.2 करोड़ से ज्यादा वोटर मताधिकार का प्रयोग करेंगे। 2015 में 6.7 करोड़ मतदाता थे। कोरोना महामारी (Covid-19) के बीचे चुनाव कराए जा रहे हैं। इस वजह से इस बार 7 लाख हैंडसैनिटाइजर, 46 लाख मास्क, 6 लाख PPE किट्स और फेस शील्ड, 23 लाख जोड़े ग्लब्स इस्तेमाल होंगे। यह सबकुछ मतदाताओं और मतदानकर्मियों की सुरक्षा के मद्देनजर किया जा रहा है। ताकि कोरोना के खौफ में भी लोग बिना भय के मताधिकार की शक्ति का प्रयोग कर सकें। बिहार चुनाव समेत लोकतंत्र की हर प्रक्रिया में हर एक वोट की कीमत है।

2010 में कैमूर जिले की भभुआ विधानसभा सीट के नतीजे काफी दिलचस्प आए थे। भभुआ विधानसभा सीट सासाराम लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है। बिहार का ये इलाका यूपी से सटा हुआ है और यहां यूपी के राजनीतिक दलों का प्रभाव भी नजर आता रहा है। आजादी के बाद से कांग्रेस ने इस सीट पर सबसे ज्यादा जीत दर्ज की है। हालांकि 80 के दशक के बाद कांग्रेस यहां की राजनीति में हाशिये पर चली गई। कांग्रेस के बाद यहां आरजेडी और बीजेपी का दबदबा बढ़ा। लेकिन भभुआ को कोई पार्टी अपना गढ़ नहीं कह सकती है। क्योंकि यहां के नतीजे चुनाव दर चुनाव बदलते रहे हैं। यहां के चुनावी इतिहास में 2010 में वोटों की दिलचस्प लड़ाई देखने को मिली थी। 

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एलजेपी के साथ थी बीजेपी की सीधी लड़ाई 
2010 में यहां से एलजेपी ने प्रमोद कुमार सिंह, बीजेपी ने आनंद भूषण पांडेय, बीएसपी ने विजय लक्ष्मी और कांग्रेस ने विजय शंकर को उम्मीदवार बनाया था। सपा ने भी यहां से अपना उम्मीदवार लड़ाया था। हालांकि तब सीधी लड़ाई एलजेपी और बीजेपी उम्मीदवारों के बीच ही हुई थी। उस चुनाव में दोनों दलों ने हर बूथ पर वोट के लिए संघर्ष किया। पार्टियों का ये संघर्ष मतगणना के दौरान भी दिखा। 

 

हर पल बदल रहे थे रुझान 
तब शुरुआती रुझान में ही साफ हो गया कि इस बार भभुआ विधानसभा के नतीजे दिलचस्प होने वाले हैं। दोनों उम्मीदवार जीत के लिए संघर्ष करते नजर आ रहे थे। मतगणना के रुझान लगातार बदलते नजर आ रहे थे। जैसे ही लगता कि फला उम्मीदवार बढ़त बना लेगा, अगले ही पल वो पीछे नजर आता। काउंटिंग में आगे-पीछे होने का ये खेल आखिरी राउंड तक चलता रहा। दोनों प्रत्याशी और उनके समर्थक एक-एक वोट के लिए परेशान नजर आ रहे थे। 

आखिरी राउंड में हुआ फैसला 
भभुआ विधानसभा का फैसला तब हुआ जब आखिरी राउंड की मतगणना खत्म हुई। एलजेपी प्रत्याशी प्रमोद कुमार सिंह ने मात्र 447 वोट से बीजेपी उम्मीदवार को हरा दिया। प्रमोद कुमार को 31, 246 वोट मिले थे। बीजेपी के आनंद भूषण को 30,799 वोट मिले। 12, 133 वोटों के साथ बसपा प्रत्याशी तीसरे नंबर पर था। जबकि चौथे नंबर पर कांग्रेस उम्मीदवार को 8300 वोट मिले। 2010 में भभुआ विधानसभा के नतीजों ने एक बार फिर यह बताने की कोशिश की थी कि लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में एक-एक वोट की कितनी कीमत है।  

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