प्रशांत किशोर के 'बात बिहार की' प्रोग्राम से पहले ही दिन जुड़े 60 हजार नए लोग

पूर्व जदयू नेता पोलिटकल रिसर्च कंपनी आई पैक के संचालक प्रशांत किशोर ने बीते दिनों जदयू से नाता तोड़ दिया है। जदयू का साथ छोड़ने के बाद पीके ने बात बिहार की नामक एक कार्यक्रम की शुरुआत की। शुरुआती रुझान में उनका यह कार्यक्रम हिट साबित होते दिख रहा है।  

Prabhanshu Ranjan | Published : Feb 21, 2020 5:20 AM IST / Updated: Feb 21 2020, 03:57 PM IST

पटना। पीके के नाम से मशहूर पूर्व जदयू उपाध्यक्ष सह पोलिटकल रिसर्च कंपनी आई पैक के संचालक प्रशांत किशोर ने गुरुवार को ‘बात बिहार की’ कार्यक्रम की शुरुआत की। शुरू होने के साथ ही उनका यह कार्यक्रम शुरआती रुझानों में हिट साबित हो रहा है। गुरुवार को शुरू होने के कुछ घंटों के भीतर लगभग 60 हजार नए लोगों ने इस कार्यक्रम के लिए रजिस्ट्रेशन कराए। वहीं आई-पैक संस्था के साथ पहले से 2 लाख 93 हजार लोग जुड़े हुए हैं। बात बिहार की से जुड़ने वाले लोगों में पटना, मुजफ्फरपुर, मोतिहारी, समस्तीपुर और मधुबनी जिले टॉप पर रहे। 

पटना से 27710 जबकि मुजफ्फरपुर से 14443 लोग  जुड़े
दरभंगा और सारण से भी 10-10 हजार से अधिक लोगों से रजिस्ट्रेशन कराया। नए और पुराने सदस्यों को मिलाकर पटना से 27710, मुजफ्फरपुर में 14443, मोतिहारी में 11762, समस्तीपुर में 10931 और मधुबनी में 10909 लोगों ने बात बिहार की में अपना रजिस्ट्रेशन कराया। वहीं दरभंगा में 10870 और सारण में 10636 लोगों ने रजिस्ट्रेशन कराया है। भले ही बिहार की बात कार्यक्रम से लोग अच्छी-खासी संख्या में जुड़ते जा रहे है, लेकिन प्रशांत किशोर ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि फिलहाल वह कोई राजनीतिक पार्टी बनाने नहीं जा रहे हैं।

दिल्ली में विपक्षी नेताओं ने की मुलाकात, हुई चर्चा
हालांकि जदयू को छोड़ने के बाद प्रशांत किशोर ने जिस तरीके से प्रेस क्रॉफ्रेंस में जिस तरीके से बिहार की बात उठाई थी, उसे देखते हुए लग रहा है कि जल्द ही वे बिहार को आधार बनाकर कोई राजनीतिक दल बना सकते हैं। जदयू से निकलने के बाद प्रशांत किशोर से विपक्षी नेताओं के मिलने का दौर भी चल रहा है। गुरुवार को रालोसपा नेता उपेन्द्र कुशवाहा, हम नेता जीतनराम मांझी और वीआईपी नेता मुकेश सहनी ने दिल्ली में प्रशांत किशोर से मुलाकात की। दो से ढाई घंटे तक चली बैठक में तीनों नेताओं ने पीके से आग्रह किया कि वाम दलों, जाप समेत एनडीए विरोधी सभी दलों को एक प्लेटफार्म पर लाने की कोशिश करें। तेजस्वी यादव और कांग्रेस के नेता भी पीके की ओर हाथ बढ़ाने के संकेत देते दिख रहे हैं। 

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