बिहार की इस अनोखी बच्ची को देखते ही डर जाते थे बच्चे, माता-पिता रोते रहते...अब सोनू सूद बने मसीहा

बिहार में 4 हाथ और 4 पैर वाली अनोखी बच्चे के लिए बॉलीवुड एक्टर सोनू सूद मसीहा बनकर आगे आए हैं। सूद की मदद का ऐलान करने के बाद अब हर कोई मासूम की मदद करना चाहता है। वहीं एक्टर ने लिखा-चिंता की बात नहीं है, बच्ची का इलाज शुरू हो गया है...बस दुआ की जरूरत है। 

Asianet News Hindi | Published : May 29, 2022 6:02 AM IST


पटना (बिहार). कोरोना महामारी के दौरान गरीबो के मसीहा बने बॉलीवुड एक्टर सोनू सूद की एक बार फिर दरियादिली सामने आई है। जिसने हर किसी का दिल जीत लिया है। सोनू सूद ने बिहार के नवादा की ढाई साल की बच्ची की मदद के लिए सामने आएं हैं। इस बच्ची के जन्म से 4 हाथ और 4 पैर हैं। जन्म से ही बच्ची के चार हाथ और पैर है। बेटी के माता-पिता के पास इतने पैसे नहीं थे कि वह उसका इलाज करा सकें। लेकिन एक्टर ने मासूम का इलाज भी करवाना शुरू कर दिया है। जल्द ही वह सभी बच्चों की तरह नॉर्मल हो जाएगी।

सोनू सूद ने कहा- बच्ची का इलाज शुरू हो गया है... बस दुआ कीजिए
बच्ची की मदद करने आए सोनू सूद ने  ट्वीट करते हुए लिखा- चिंता की बात नहीं है, बच्ची का इलाज शुरू हो गया है... बस दुआ की जरूरत है। सोनू सूद के ट्वीट करते ही पीड़ित परिवार के घर  ढाई साल की बच्ची  की मदद करने वालों की भीड़ लगने लगी है। बहुत से लोगों ने मदद का हाथ बढ़ाना शुरू कर दिया है।

मासूम के इलाज के लिए दर-दर भटके माता-पिता
दरअसल, ढाई साल की यह मासूम बच्ची नवादा जिले के निवासी बसंत पासवान की बेटी है। जिसका नाम चौमुखी है, मासूम के जन्म से ही चार हाथ और चार पैर हैं। माता-पिता की आर्थिक हालत इतनी ठीक नहीं थी कि वह किसी अच्छी अस्पताल में बेटी का इलाज करा सकें। हालांकि वह इलाक के लिए दर भटके, लेकिन किसी ने कोई मदद नहीं की। पिता इसके इलाज को लेकर परेशान थे, तभी सोनू सूद की मदद पीड़ित परिवार तक पहुंच गई। अब सूद की पहल के बाद हर कोई आगे आया है।

मासूम को देखते ही गांव के अन्य बच्चे डर जाते थे
बता दें कि यह बच्ची सबसे अनोखी है, जो चार पैर और चार हाथ के साथ अपनी नन्ही सी जिंदगी जी रही है। अब इसे देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ रही है। एक समय था जब मासूम को देखते ही गांव के अन्य बच्चे डर जाते थे। खूद मासूम  किसी के साथ खेल सकती है और ना ही किसी के साथ बात कर सकती है। पिता बंसत पासवान ने कहा कि वह एक बार बेटी के ऑपरेशन के लिए एक अस्पताल गए थे, लेकिन डॉक्टर ने ऑपरेशन करने से मना कर दिया था। तो वह निराश होकर घर लौट आए। अब मासूम अन्य बच्चों की तरह खेल-कूद सकेगी।
 

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