18 साल से अयोध्या में राम मंदिर को लेकर पकड़ रखी थी एक जिद, जानिए इस जुनूनी ब्रह्माचारी की कहानी

अयोध्या में राम मंदिर पर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने देश में बहुत कुछ बदला है। आगे भी बड़ा परिवर्तन होगा। इस फैसले ने कइयों की जिंदगी भी बदली है। बिहार के किशनगंज के रहने वाले देवदास ब्रह्माचारी भी ऐसे ही गिने-चुने लोगों में से एक हैं। जानिए देवदास की जिंदगी में क्या फर्क पड़ा...
 

किशनगंज(बिहार). यह हैं देवदास ब्रह्मचारी। अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला सुनाया है, उसने देवदास की जिंदगी में बहुत बड़ा बदलाव किया है। किशनगंज के रहने देवदास राम के परम भक्त हैं। उन्होंने 18 साल पहले संकल्प लिया था कि जब तक अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण का रास्ता साफ नहीं होता, वे नंगे पैर रहेंगे। अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद वे बहुत खुश हैं। देवदास ने कहा कि उनका संकल्प पूरा हुआ। अब वे जूता-चप्पल पहन सकेंगे।

इंटर की परीक्षा पास करने के बाद लिया था संकल्प..
यह वर्ष, 2001 की बात है। देवदास ने तब इंटर की परीक्षा पास की थी। उस वक्त उन्होंने यह शपथ ली थी। सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद देवदास ने खुशी जताई-'अब मेरा संकल्प पूरा हो गया है।' उल्लेखनीय है कि देवदास समाजसेवा करते हैं। वे रक्तदान को लेकर लोगों को जागरूक करते हैं। 38 साल के देवदास एक अनाथ आश्रम चलाते हैं।

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याद रहे कि चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय पीठ ने लगातार 40 दिन की सुनवाई के बाद 9 नवंबर को अपना फैसला सुनाया था। इसमें सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या की विवादित जमीन पर रामलला का ही हक बताया था। इसके साथ ही सुन्नी वक्फ बोर्ड को अयोध्या में ही कहीं पांच एकड़ जमीन देने को कहा है।

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