अस्पतालों के चक्कर लगाते-लगाते वो पत्नी को लेकर पटना एम्स पहुंचे। आरोप है कि यहां आंधे घंटे तक रोककर रखा गया। इस दौरान पत्नी की गेट पर ही मौत हो गई। अब डॉक्टर रंजीत ने आईएमए को पत्र लिखकर प्राइवेट अस्पताल पर उचित कारवाई की मांग की है।
पटना (bihar) । अब बिहार की राजधानी पटना से शर्मसार करने वाली खबर सामने आई है। ये खबर सबसे बड़े अस्पताल पटना मेडिकल कॉलेज एंड अस्पताल (पीएमसीएच) में तैनात डॉक्टर रंजीत कुमार से जुड़ी है, जो अपने ही पत्नी की जान बचाने के लिए 13 घंटे तक दर-दर की ठोंकरे खाते रहे। खुद डॉक्टर होते हुए भी वहां के डॉक्टरों का हाथ-पैर पकड़कर रोए। लेकिन, किसी डॉक्टर ने उनकी बात नहीं मानी। आखिर में इलाज के अभाव में एम्स के गेट पर पत्नी ने दम तोड़ दिया। वहीं, पीड़ित डॉक्टर रंजीत कुमार सिंह ने आईएमए को पत्र लिखकर पूरा घटनाक्रम बताते हुए आरोप लगाया है कि उनके साथ डॉक्टरों और अस्पतालों में कितना जुल्म किया गया है। ऐसे में सवाल उठता है कि जब ऐसा डॉक्टर के ही साथ हो रहा है तो सामान्य लोगों के साथ क्या होता होगा।
क्या है पूरा मामला
23 तारीख को डॉक्टर की पत्नी बरखा सिंह की तबीयत अचानक से बिगड़ गई। उन्होंने घर के नजदीक कुर्जी मेमोरियल अस्पताल में भर्ती कराया। अस्पताल प्रशासन ने बेहतर इलाज के लिए उन्हें पाटलिपुत्र इलाके स्थित रूबन अस्पताल में रेफर कर दिया। जहां उनका कोरोना जांच किया गया और रिपोर्ट निगेटिव आई। आरोप है कि पत्नी को आईसीयू में एडमिट करने के बजाय ओपीडी में रखा गया। वहीं, तबीयत बिगड़ती देख वहां से भी उन्हें पारस अस्पताल जाने की बात कही गई। जहां उन्हें डॉक्टर समेत सभी स्टाफ की मिन्नते करनी पड़ी, फिर भी उन्हें वेंटिलेटर की सुविधा नहीं मिली।
एम्स के गेट पर ही हुई मौत
अस्पतालों के चक्कर लगाते-लगाते वो पत्नी को लेकर पटना एम्स पहुंचे। आरोप है कि यहां आंधे घंटे तक रोककर रखा गया। इस दौरान पत्नी की गेट पर ही मौत हो गई। अब डॉक्टर रंजीत ने आईएमए को पत्र लिखकर प्राइवेट अस्पताल पर उचित कारवाई की मांग की है। आईएमए के सचिव को लिखे पत्र में डॉक्टर रंजीत ने रूबन एवं पारस अस्पताल को पत्नी की मौत का कारण माना है और उनपर उचित कार्रवाई की मांग की है।
मां की सांस टूटती देख रही थी भविष्य की डॉक्टर बेटी
पीड़ित की एक ही बेटी है, जो बारहवीं पास कर डॉक्टर बनने के लिए तैयारी कर रही है। जब डॉक्टर पिता निजी अस्पताल डॉक्टरों से चिरौरी कर रहे थे उस समय बेटी आकांक्षा अपनी मां के साथ एम्बुलेंस में बैठी थी। आकांक्षा की आंखों के सामने मां की सांस टूट रही थी। लेकिन, पर वह बेबस थी। 13 घंटे तक मां को इलाज पाने के लिए भटकते पिता की स्थिति देखकर आकांक्षा भी हिल गई।
अगर इस केयर सेंटर की दहलीज पर चढ़ गए तो हो जाएगा कोरोना!