अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ विद्रोह में अगुवा रहा बिहार, आजादी के आंदोलन में रहा सबसे आगे, जानें अब तक का सफर

आज ही के दिन बंगाल प्रेसिडेंसी से अलग होकर बिहार अस्तित्व में आया। साल 1935 में बिहार से अलग होकर उड़ीसा नाम का नया राज्य बना। साल 2000 में एक बार फिर बिहार का विभाजन हुआ और झारखंड राज्य की स्थापना हुई।

पटना : आज बिहार अपना 110वां साल (Bihar Diwas 2022) मना रहा है। राजधानी पटना का गांधी मैदान सज-धज कर तैयार है। तीन दिवसीय बिहार दिवस समारोह में कई बड़ी हस्तियां शिरकत करने जा रही हैं। इस अवसर पर राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद (Ramnath Kovind), प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi), गृहमंत्री अमित शाह (Minister Amit Shah) ने शुभकामनाएं दी हैं। 22 मार्च 1912 को अंग्रेजों ने बंगाल से अलग कर राज्य को नई पहचान दी तब से लेकर आज तक के सफर में काफी कुछ जुड़ता रहा। अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ विद्रोह में बिहार अगुवा रहा तो आजादी के आंदोलनों में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। साल 2000 में राज्य का भूगोल भी बदला। यही बदलाव और नयापन बिहार का एक अलग स्थान बनाए हुए है। आइए जानते हैं 110 साल के सफर में बिहार में क्या-क्या हुआ..

मगध से विहार तक का सफर
बिहार को पहले मगध नाम से जाना जाता था। बिहार की राजधानी पटना का नाम पहले पाटलिपुत्र था। बिहार शब्द संस्कृत और पाली शब्द विहार यानी मठ से बना। बिहार बौद्ध संस्कृति का जन्म स्थान है, जिस वजह से इस राज्य का नाम पहले विहार और उससे बिहार बना। साल 1912 में बंगाल का विभाजन के बाद बिहार नाम का राज्य स्थापित हुआ था, जिसके बाद ये राज्य अस्तित्व में आया।

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अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ विद्रोह में अगुवा
बिहार अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई में सबसे आगे रहा। आजादी के लिए हुए आंदोलनों में भी राज्य ने सबसे आगे रहकर आवाज बुलंद की। न जाने कितने लोग सलाखों के पीछे गए, अंग्रेजों की प्रताड़ना सही लेकिन आजादी दिलाकर ही सांस ली। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) का चंपारण के किसानों की हक में आवाज उठाना आज भी इतिहास के पन्नों में सबसे पहले है। महात्मा गांधी ने 1942 में अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन का आह्वान किया था। बिहार में आंदोलन की आग फैली तो कई छात्र सचिवालय पर तिरंगा फहराने निकल पड़े थे और उन्हें अंग्रेजों की गोली का शिकार होना पड़ा था।

आजादी के बाद बदलती गई सत्ता
आजादी के बाद साल 1967 में बिहार में पहली बार गैर कांग्रेसी सरकार बनी। पांच मार्च, 1967 को महामाया प्रसाद सिन्हा ने मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली। इस सरकार को संविद सरकार का नाम दिया गया। 1974 में बिहार से निकले छात्र आंदोलन ने गुजरात, राजस्थान और मध्य प्रदेश समेत पूरे देश में फैली। इंदिरा सरकार ने जब 1975 में देश में इमरजेंसी लागू किया तो बिहार के ही लोकनायक जयप्रकाश नारायण (Jayaprakash Narayan) ने छात्र आंदोलन को नेतृत्व किया। साल 1990 के मार्च में जनता दल की सरकार सत्ता में आई। लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) मुख्यमंत्री बने। उस वक्त मंडल-कमंडल का मुद्दा खूब चल रहा था।

..और बदल गया भूगोल
15 नवंबर 2000..वह दिन जब बिहार का भूगोल बदल गया। बंगाल प्रोविंस से अलग होने के करीब 88 साल बाद बिहार को बांटा गया। दक्षिणी हिस्से के 18 जिलों के साथ झारखंड (Jharkhand) नया राज्य बना। बिहार अलग हुआ तो ज्यादातर माइन्स-मिनरल का क्षेत्र झारखंड में चला गया। तब कई सवाल भी खड़े हुए थे कि आखिरकार बिहार में अब बचा ही क्या है? आगे कैसा होगा राज्य का भविष्य? 

बिहार के विकास ने बदला नजरिया
इसके बाद बिहार ने जिस स्पीड से ग्रोथ किया उससे दुनिया चकित हो गई। राजद (RJD) के 15 साल की सत्ता के बाद साल 2005 में राज्य की बागडोर नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के हाथ में आ गई। 2006 में इस सरकार ने जो कानून बनाया वह यह पंचायती राज व्यवस्था में महिलाओं के लिए 50 फीसदी आरक्षण से जुड़ा था। 2010 में नीतीश कुमार दूसरी बार सत्ता पर काबिज हुए तो भ्रष्टाचारियों की प्रॉपर्टी जब्त कर उसमें स्कूल खोलने का फैसला लिया। अवैध तरीके से बनाए गए कई अधिकारियों के आलीशान मकानों में सरकारी स्कूल खोले गए जिसके बाद बिहार की खूब वाहवाही हुई। पांच अप्रैल, 2016 को नीतीश कुमार ने राज्य में पूर्ण शराबबंदी कर देश-दुनिया का ध्यान बिहार की तरफ खींचा। आज बिहार लगातार विकास कर रहा है। हर  किसी का नजरिया बदल रहा है। यहां इनवेस्टमेंट बढ़ रहे हैं। शिक्षा के दरवाजे खुल रहे हैं। बीमारू राज्य की छवि धीरे-धीरे खत्म हो रही है और बन रहा है नया बिहार..

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