बिहार में शराब रोकने के लिए CM नीतीश का अजीब फरमान: अब शिक्षक पियक्कड़ों को पकड़ेंगे, सुशासन बाबू का गजब तरीका

Published : Jan 29, 2022, 11:57 AM ISTUpdated : Jan 29, 2022, 12:14 PM IST
बिहार में शराब रोकने के लिए CM नीतीश का अजीब फरमान: अब शिक्षक पियक्कड़ों को पकड़ेंगे, सुशासन बाबू का गजब तरीका

सार

बिहार सरकार के कड़े रवैये के बाद भी प्रदेश की पुलिस अवैध शराब के कारोबार को रोकने में नाकाम होते हुए दिख रही है। शायद इसलिए सीएम नीतीश कुमार ने अब शिक्षकों को अजीब फरमान सुनाया है। जिसके मुताबिक उनको बच्चों को पढ़ाने के अलावा प्रदेश में शराब तस्करी भी रोकनी होगी। 

पटना. बिहार में कहने को तो शराबबंदी है, लेकिन जिस तरह से आए दिन दर्जनों लोगों की इस जहर को पीने से मौतें हो रही हैं, उसे देखकर तो ऐसा नहीं लगता है। सरकार के कड़े रवैये के बाद भी प्रदेश की पुलिस अवैध शराब के कारोबार को रोकने में नाकाम होते हुए दिख रही है। शायद इसलिए सीएम नीतीश कुमार ने अब शिक्षकों को अजीब फरमान सुनाया है। जिसके मुताबिक उनको बच्चों को पढ़ाने के अलावा प्रदेश में शराब तस्करी भी रोकनी होगी। शिक्षा विभाग के इस आदेश के बाद राज्य के सभी शिक्षक हैरान-परेशान हैं।

अब राज्य के शिक्षक ऐसे शराब को रोकेंगे
दरअसल, बिहार सरकार के शिक्षा विभाग की ओर जारी आदश के मुताबिक, राज्य के शिक्षक अब शराब तस्करों और पियक्कड़ों की निगरानी करेंगे। यानि वह  चोरी-छिपे शराब पीने वाले या उसकी आपूर्ति करने वाले लोगों को जासूसी कर पकड़वाएंगे। शिक्षक अब गोपनीय तरीके से सरकार को सूचना देंगे की उनको आसपास कौन शराब बेचता है और कौन पीता है। शिक्षा विभाग के अपर मुख्य ने इस आदेश को तत्काल प्रभाव से अमल करने के लिए हर जिले में शिक्षा अधिकारी को दिया है।

शिक्षकों के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी
सरकार के आदेश में कहा गया है कि तहसील और जिला लेवल पर उच्च, मध्य, प्राथमिक विद्यालय और शिक्षा समितियों को इस आदेश का पालन करना होगा। शिक्षा विभाग की तरफ से जारी पत्र में शिक्षकों के लिए हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया गया है। जिस पर वह शराब की तस्करी, अवैध शराब का निर्माण करने वालों और उसका सेवन करने वालों की सूचना उत्पाद विभाग के हेल्पलाइन पर देंगे। सूचना देने वाले टीचर का नाम गोपनीय रखा जाएगा। 

गजब है सुशासन बाबू का फरमान
बता दें कि शराब माफिया को जब पुलिस वाले काबू नहीं कर पाए तो क्या टीचर उनको शराब की तस्करी करने से रोक पाएंगे। क्योंकि शराब का अवैध कारोबार तो गुंड़े प्रजाति के लोग करते हैं, जो हर तरफ से दबंग होते हैं। इन लोगों को पर कंट्रोल पाने के लिए दमदार जिगर वालों की जरूरत होनी चाहिए। ऐसे में बच्चों को पढ़ाने और किताब-कलम थामने वाले टीचर उनको सबक सिखा पाएंगे। अब देखना होगा कि सुशासन बाबू का यह तरीका क्या बिहार में शराब पर पूर्ण रुप से पाबंदी लगा पाएगा।

सरकार के आदेश को विपक्ष ने बताया बेतुका
शिक्षा विभाग ने राज्य के सभी टीचरों को लिए जो मोबाइल नंबर जारी किया है वह 94734 00378 और 94734 00606 के साथ ही टोल फ्री नंबर 18003 456 268/15545 पर सूचना देने के लिए कहा है। हालांकि विपक्षी पार्टियों ने सीएम नीतीश कुमार के इस आदेश को बेतुका बताया है। उन्होंने कहा कि ऐसे आदेश से शिक्षकों की जान पर भी खतरा मंडरा सकता है। क्योंकि जो काम पुलिस नहीं कर पा रही है वह टीचर कैसे करेंगे। इसिलए मुख्यमंत्री ऐसे फरमान को जल्द से जल्द वापस ले।

दो महीने में बिहार में हो चुकीं 50 से ज्यादा मौतें
बता दें कि दो दिन पहले ही बिहार के बक्सर जिले में 5 लोगों की शराब पीने से मौत हुई है। प्रदेश में आए दिन इसको पीने से लोगों की मौतें हो रही हैं। हाल ही में एक सप्ताह पहले ही नालंदा जिले के सोहराय में जहरीली शराब पीने से 11 लोगों की मौत हुई थी। जिसकी पुष्टि खुद जिले के एसपी ने की थी। इतना ही नहीं इस मामले ने तूल पकड़ा तो सोहसराय थाने के एसएचओ को सस्पेंड कर दिया गया। इतना ही नहीं दो महीने पहले ही गोपालगंज जिले में जहरीली शराब पीने से 40 लोगों की मौत हुई थी। इस मामले में खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने थाना प्रभारी को हटाने के आदेश दिए थे।

शराबबंदी वाले वाले बिहार में आसानी से मिल रही शराब
बता दें कि बिहार में कहने को तो शराबंदी है, लेकिन फिर भी गांव से लेकर शहर तक में शराब खुलेआम बिकती है। साल 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने वादा किया था कि अब से राज्य में ना तो कोई शराब पिएगा और ना ही मिलेगी। क्योंकि सुशासन बाबू इस ऐलान के बाद महिलाओं की वोट अपने पक्ष में करना चाहते थे। हालांकि हुआ भी वही जैसा सीएम ने चाहा, जिसके चलते महिलाओं का वोटिंग प्रतिशत 60 के करीब हो गया था। महिलाओं ने बढ़ चढ़कर उनको वोट दिया और राज्य में नीतीश की सरकार बनाई। लेकिन अब तो आए दिन अवैध शराब पीने से लोगों की मौतें हो रही हैं। जिसको लेकर राज्य सरकार पर अब कई सवाल खड़े होने लगे हैं। आम जनता से लेकर विपक्षी पार्टियों के निशाने पर मुख्यमंत्री आ चुके हैं। मौत के जो आंकड़े आ रहे हैं वह तो यही बताते हैं कि शराबबंदी वाले वाले बिहार में अब भी लोगों को आसानी से शारब मिल रही है।


 

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