क्या जेपी नड्डा का बयान बिहार में BJP के लिए बना संकट, नीतीश का जानें क्यों हुआ मोहभंग

नीतीश कुमार और बीजेपी के रिश्तों में आई खटास को दूर करने के लिए बीजेपी की शीर्ष  नेतृत्व एक्टिव हो गया है। भारतीय जनता पार्टी के सात मोर्चों की संयुक्त राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में नड्डा ने कहा था क्षेत्रीय दल खत्म हो जाएंगे। 

पटना. बिहार का सियासी मौहाल गर्म है। अटकलें हैं कि विधायक और सांसदों की बैठक के बाद सीएम नीतीश कुमार एनडीए से अलग होने की घोषणा कर सकते हैं। बिहार में नीतीश कुमार के बीजेपी की नाराजगी की खबरें बीते एक महीने से आ रही हैं। लेकिन नीति आयोग की बैठक में शामिल नहीं होने के बाद से माना जा रहा है कि बिहार में जल्द ही सत्ता परिवर्तन हो सकता है। नीतीश कुमार और बीजेपी के रिश्तों में आई खटास को दूर करने के लिए बीजेपी की शीर्ष  नेतृत्व एक्टिव हो गया है। सूत्रों के अनुसार, केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने नीतीश कुमार से फोन में बात की है। वहीं, कहाा जा रहा है कि जेपी नड्डा का एक बयान नीतीश कुमार की नाराजगी को हवा देने का काम किया है। 

पटना में दिया था बयान
हाल ही में भारतीय जनता पार्टी के सात मोर्चों की संयुक्त राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक का आयोजन बिहार में किया गया था। इस बैठक में जेपी नड्डा और केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह भी शामिल हुए थे। इस दौरान जेपी नड्डा ने क्षेत्रीय पार्टियों को लेकर बड़ा बयान दिया था। जिसके बाद से बिहार की सियासत में बड़ा उथल-पुथल मचा हुआ है। 

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बीजेपी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए जेपी नड्डा ने कहा था कि अगर बीजेपी अपनी विचारधारा में ऐसे ही आगे बढ़ती रही तो आने वाले समय में क्षेत्रीय पार्टियां खत्म हो जाएंगी औऱ केवल बीजेपी बचेगी। जेपी नड्डा के इसी बयान से नीतीश कुमार नाराज बताए जा रहे हैं। हालांकि अमित शाह ने इस बैठक में जेपी नड्डा के द्वारा दिए गए बयान पर डैमेज कंट्रोल करते हुए कहा था कि बीजेपी गठबंधन धर्म को निभाएंगी और बिहार विधानसभा का चुनाव जेडीयू के साथ लड़ा जाएगा। 

क्षेत्रीय दल हमेशा रहेंगे
जेपी नड्डा के बयान पर जदयू मे प्रतिक्रिया व्यक्त की थी। जदयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने जेपी नड्डा के बयान पर कहा था कि राष्ट्रीय पार्टियों ने जनता की उम्मीदों को पूरा नहीं किया जिस कारण से क्षेत्रीय दलों का उदय हुआ। क्षेत्रीय दलों की लोकप्रियता के कारण ही देश में गठबंधन की राजनीति शुरू हुई है। उन्होंने कहा था कि भारत में लोकतंत्र है इशलिए यहां क्षेत्रीय और राष्ट्रीय दल दोनों हमेशा रहेंगे।

क्यों नाराज हैं नीतीश
नीतीश कुमार की बीजेपी से नाराजगी के कई कारण बताए जा रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, बिहार विधानसभा के अध्यक्ष विजय सिन्हा और नीतीश कुमार के बीच रिश्ते ठीक नहीं हैं। वहीं, 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी की सत्ता में वापसी के बाद केन्द्रीय मंत्रिमंडल में जदयू को केल एक सीट मिली थी। बताया जा रहा है कि पीएम मोदी के एक देश और एक चुनाव के प्रस्ताव से भी नीतीश कुमार खुश नहीं हैं।

2020 में साथ में लड़ा था चुनाव
बिहार विधानसभा के चुनाव 2020 में हुए थे। इस चुनाव में जदयू और बीजेपी ने साथ मिलकर लड़ा था। बीजेपी को सबसे ज्यादा सीटें मिली थीं। जबकि जदयू की सीटें कम होने के बाद भी बीजेपी ने नीतीश कुमार को सीएम बनाया था।

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