शराबबंदी पर सियासत: बिहार से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से तेजस्वी यादव ने पूछे 15 तीखे सवाल,कहा- क्या देंगे जवाब
नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने रविवार को सोशल मीडिया के जरिए सीएम नीतीश कुमार से 15 तीखे सवाल किए हैं। उन्होंने कहा क्या मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मेरे इन सवालों के जवाब दे पाएंगे? तेजस्वी ने आरोप लगाया है कि चुनिंदा अफसर मुख्यमंत्री को हर मसले पर गुमराह कर रहे हैं।
पटना : बिहार (bihar) में जहरीली शराब से लगातार हो रही मौतों पर सियासत कम होने के नाम नहीं ले रही है। प्रमुख विपक्षी दल RJD नीतीश सरकार पर हमलावर है। एक के बाद एक तीखे हमले किए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री नीतीश (nitish kumar) सीधे तौर पर विपक्ष के निशाने पर हैं। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (tejashwi yadav) खुद इस मामले को लेकर मुख्यमंत्री को निशाना बना रहे हैं। उन्होंने रविवार को सोशल मीडिया के जरिए सीएम नीतीश कुमार से 15 तीखे सवाल किए हैं। तेजस्वी ने आरोप लगाया है कि चुनिंदा अफसर मुख्यमंत्री को हर मसले पर गुमराह कर रहे हैं। प्रदेश में आए दिन शराब की बड़ी खेप के साथ गाड़ियां जब्त की जाती हैं और बाद में इन गाड़ियों को फिर से शराब तस्करों के पास ही भेज दिया जाता है। क्या मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मेरे इन सवालों के जवाब दे पाएंगे?
तेजस्वी यादव के 15 सवाल
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बिहार में आए दिन शराब की बड़ी-बड़ी खेप पकड़ाती है। जब्त की गई शराब और गाड़ी को फिर से तस्करों के हवाले करने के लिए थानों से ही बोली लगती है जिसका बड़ा हिस्सा प्रशासन और पुलिस के अफसरों और सत्तारूढ़ नेताओं की जेबें गरम करता है। क्या मुख्यमंत्री को इस बात की जानकारी नहीं है?
बिहार में दूसरे राज्यों से शराब आती है तो बिहार सीमा के अलावा अकसर 4-5 जिलों से होते हुए अपने गंतव्य तक पहुंचती है। क्या यह बिना कई जिलों के प्रशासन, मद्य निषेध एवं उत्पाद विभाग और पुलिस के शीर्ष अफसरों की मिलीभगत और तय हिस्सेदारी के संभव है?
क्या मुख्यमंत्री नहीं जानते कि बिहार में शराब सिर्फ और सिर्फ बोतल में बंद है, लेकिन चारों तरफ थानों और प्रशासन की निगरानी में हर चौक-चौराहे से शराब की खुलेआम धड़ल्ले से बिक्री होती है?
क्या नीतीश कुमार नहीं जानते कि शराब तस्करों को दी जा रही छूट के बदले मिलने वाली राशि के बल पर ही उनकी पार्टी बिहार की सबसे धनी पार्टी बन गई है?
क्या यह संभव है कि नीतीश कुमार नहीं जानते कि शराबबंदी कानून के लचर कार्यान्वयन के कारण राज्य में 20 हजार करोड़ की एक समानांतर अवैध अर्थव्यवस्था खड़ी हो गई है, जिसके सबसे बड़े लाभार्थी जदयू-भाजपा में बैठे शराब माफिया के लोग, सरकारी अफसर और पुलिस प्रशासन के लोग हैं?
बिहार में आज तक शराबबंदी पुख्ता तरीके से लागू नहीं हो पा रही है, क्योंकि इसे लागू करने वाले व्यक्ति के मन में ही खोट है। नीतीश कुमार ने बड़ी कुटिलता से शराबबंदी से होने वाली अवैध आय को अपनी पार्टी की रीढ़ की हड्डी बना ली है?
आज तक शराब माफिया से मिलीभगत पर किसी वरिष्ठ अफसर या सत्तारूढ़ नेता पर कार्रवाई नहीं हुई है। जबकि भाजपा-जदयू के नेताओं के विरुद्ध लगातार सबूत मिलते रहे हैं। ये नेता पकड़े भी जा रहे हैं। इनके वीडियो भी सामने आते रहे है?
आज तक शराबबंदी कानून में कोई पैसेवाला या रसूखदार जेल नहीं गया है। सभी पैसे देकर छूट जाते हैं पर 3 लाख से अधिक गरीब-दलित वर्गों के लोग, जो पुलिस व प्रशासन की लोभी जेबों को गरम करने के योग्य नहीं थे, जिनका जीवन खराब कर दिया गया?
जो लोग शराबबंदी कानून में जेलों में बंद हैं, लगभग वो सभी दलित, अति पिछड़े व गरीब पृष्ठभूमि से आते हैं। उनके जेल में रहने उनके परिवार के सदस्य भी आर्थिक और सामाजिक रूप से प्रभावित हुए हैं कि नहीं?
मुख्यमंत्री प्रवचन देकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला नहीं झाड़ सकते। कानून व्यवस्था उनके ही जिम्मे है। पुलिस प्रशासन उन्हीं के अधीन है। शराबबंदी की नाकामी नीतीश कुमार की नाकामी है और हर जहरीली शराब कांड में जाने वाली जानों के जिम्मेदार नीतीश कुमार खुद हैं कि नहीं?
क्या शराबबंदी से उत्पन्न संस्थागत भ्रष्टाचार और संस्थागत हत्याओं के जिम्मेवार केवल और केवल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नहीं हैं?
मुख्यमंत्री बताएं, शराबबंदी के नाम पर अपने प्रिय नजदीकी अधिकारियों संग हुई हजारों समीक्षा बैठकों में चाय-बिस्किट और पकौड़ों की खपत के अलावा धरातल पर इन बैठकों का कोई सकारात्मक परिणाम सामने आया?
क्या मुख्यमंत्री नहीं जानते कि उनके अधीन पुलिस उन्हीं की आंखों में धूल झोंकती है? 50 ट्रक शराब की तस्करी कराने के बाद एक पुराना ट्रक जब्त दिखाती है, जिसमें दिखावे के लिए सीमित मात्रा में शराब और बाकी पेटियों और बोतलों में बनावटी रंग भरा होता है। क्या बिहार की इंटेलिजेंस, पुलिस और गृह विभाग इस सच्चाई से अवगत है?
नवादा, मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, गोपालगंज, बेतिया, बक्सर इत्यादि जिलों में जहरीली शराब से हुई सैकड़ों मौतों का जिम्मेदार कौन है?
लगभग 6 साल बाद भी शराबबंदी कानून सही से लागू नहीं हो पाया और उसका अपेक्षित परिणाम सामने नहीं आया तो उसका जिम्मेदार कौन है? क्या यह विशुद्ध रूप से गृहमंत्री सह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अदूरदर्शिता, असफलता और कमजोर नेतृत्व क्षमता का परिचायक नहीं है?
BJP-JDU पर आरोप तेजस्वी यादव ने कहा है कि दूसरे राज्यों से शराब लेकर राज्य के हर जिले में सप्लाई करना बगैर प्रशासन की मिलीभगत के संभव नहीं है। उन्होंने कहा है कि थाना और प्रशासन की निगरानी में ही राज्य के हर चौक-चौराहे पर शराब बेची जा रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि शराब तस्करों को दी जा रही छूट की बदौलत ही जदयू राज्य की सबसे धनी पार्टी बन गई है। उन्होंने भाजपा और जदयू पर राज्य में अवैध शराब के कारोबार की 20 हजार करोड़ रुपए की समांतर व्यवस्था खड़ी करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि राज्य में शराबबंदी लागू करने की नीयत में ही खोट है।
BJP-JDU का RJD पर निशाना इधर, BJP और JDU का आरोप है कि RJD और इस पार्टी के सभी नेता राज्य में शराबबंदी को फेल करने में जी जान से जुटे हैं। राजद को बिहार का सुख-चैन देखा नहीं जा रहा है। शराबबंदी से सबसे अधिक नुकसान इसी पार्टी को है। जदयू की तरफ से कहा गया कि तेजस्वी को दिल्ली (delhi) में बैठकर ट्विटरबाजी करना छोड़ देना चाहिए। बीजेपी के सुशील कुमार मोदी (sushil kumar modi) ने भी इस मसले पर राजद पर हमला किया है।
क्या है मामला बता दें कि बिहार के 3 जिलों में बीते 4 दिनों में जहरीली शराब पीने से 41 लोगों की मौत हो चुकी है। इसमें शनिवार को समस्तीपुर के 4 मृतक भी शामिल हैं। वहीं, 6 लोगों की हालत गंभीर है। इनमें से तीन की आंखों की रोशनी जा चुकी है। मरने वालों में गोपालगंज से 20, बेतिया से 17 और समस्तीपुर से BSF और आर्मी के एक-एक जवान समेत 4 लोग शामिल हैं।